अयोध्या मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए जाने वाले फैसले को लेकर यूं तो सारे देश में ही तनाव का वातावरण बना हुआ था, लेकिन उ-प्र- की राजधानी लखनऊ में जिस प्रकार से रैपिड एक्सन पफ़ोर्स सहित अन्य सुरक्षाबलों की विशेष टुकड़ियां शहर में मार्च करती दिखाई दे रही थीं, उन्हें देखकर नवाबों के शहर में अजीब-सा सन्नाटा व्याप्त था। लखनऊ में उड़ती-उड़ती खबरें मिल रही थीं कि 23 तारीख की मध्य रात्रि से ही यहां कफ्रर्यू लगाया जा सकता है। लेकिन इसी दरमियान इस पफ़ैसले को लेकर एक याचिका कर्ता देश के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुका था। माननीय उच्चतम् न्यायालय में उस याचिका पर 28 सितम्बर को सुनवाई का निर्णय ले लिया, और तब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के पफ़ैसले पर रोक लगाए जाने से 24 सितम्बर को लेकर बढ़ते जा रहे तनाव में कापफ़ी राहत देखने को मिली। लखनऊ से कानपुर और पिफ़र कानपुर से आगरा के लिए रवाना हो गई यात्रा। कानपुर में पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों से निबट कर जब कानपुर से आगरा के लिए यात्रा बढ़ी तब इटावा में यात्रा का गर्मजोशी से स्वागत हुआ। इटावा-मैनपुरी अब अपराध उद्योग से मुक्त हो चुके हैं, लेकिन एक समय था कि इस क्षेत्र में डकैती अपहरण जैसे अपराध उद्योग बन गए थे। इटावा से शिकोहाबाद होते हुए पिफ़रोजाबाद ऑपरेटरों के साथ पृथ्वी के बढ़ते जा रहे तापमान पर चर्चा कर आगरा रवाना होने से पूर्व पिफ़रोजाबाद की प्रसिद्ध चूड़ियां भी खरीदीं। पिफ़रोजाबाद-शिकोहाबाद या इटावा जैसे शहर भी यह तो जानते हैं कि केबल टीवी को एनालाग से डिजीटल पर ले जाने की कोशिशें की जा रही हैं परन्तु वह आपरेटर ये कैसे करें उनकी समझ से परे है व ना ही हम उनके सवालों का पिफ़लहाल कोई उत्तर ढूंढ पा रहे हैं। रात्रिविश्राम आगरा में हुआ, यहां विदेशी सैलानियों की संख्या में कोई कमी नहीं दिखी, लेकिन 24 सितम्बर को लेकर हर एक होटल पर प्रभाव स्पष्ट दिखाई दिया।
आगरा 24 सितम्बर की दहशत से मुक्त दिखाई दिया क्योंकि उच्चतम न्यायालय में इस सन्दर्भ में आई एक याचिका पर 28 सितम्बर को सुनवाई होगी तत्पश्चात ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय कोई पफ़ैसला दे पाएगा। आगरा में वृक्षारोपण कार्यक्रम सहित मीडिया से भी रूबरू होकर ग्लोबल विार्मंग के प्रति जागरूकता कार्यक्रम रखा गया। आगरा में नीरजवहीं आगरा में पढ़ाई के दौर के सहपाठी पारस जैन ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरा योगदान किया। आगरा तक पहुंचते-पहुंचते दिल्ली से लेकर चले कापफ़ी सामग्री खत्म होने के कगार तक पहुंच चुकी थी एवं डिजीकेबल द्वारा भेजी गई सामग्री भी अभी तक नहीं मिल सकी थी। अतः वह सब देने के लिए दिल्ली से दूसरी गाड़ी भी आगरा पहुंची। सभी सामग्री प्राप्त कर आगरा कार्यक्रम निबटा कर यात्रा ग्वालियर की ओर बढ़ चली। दिल्ली से चला यमुना का पानी अब तक आगरा पहुंचने लगा था, यमुना जी ताज महल की पिछली ओर ताज को छूते बह रही थीं, जिसे देखने वालों की आगरा में भी भीड़ उमड़ी हुई थी।
भिण्ड-मुरैना के बीहड़ाें से गुजरते हुए यात्रा ग्वालियर पहुंच गई। रात्रि में ही वहां अशोक पमनानी जी के बोस श्री एस-एल-राठौर प्रमुख ज्ञडश्र न्यूज से भेंट हुई, उन्होने बहुत ही गर्मजोशी से यात्रा का स्वागत कर ज्ञडश्र न्यूज पर साक्षात्कार प्रसारित किया। रात्रि विश्राम के सुबह ज्ञडश्र न्यूज में पुष्प मालाओं से लाद दिया गया। मीडिया कवरेज के बाद वृक्षारोपण कार्यक्रम भी रखा गया एवं यात्रा को विदा करते हुए माननीय राठौर जी ने 21000 रुपये की राशि सम्मान स्वरूप भेंट की। तत्पश्चात यात्रा शिवपुरी के लिए रवाना हो गई। रास्ते में घाटी गांव व मोहाना के ऑपरेटरों से भेंट करते हुए शिवपुरी पहुंचे। शिवपुरी में वृक्षारोपण किया गया एवं पृथ्वी के बढ़ते जा रहे तापमान पर लोगों का ध्यान खींचते हुए इसे रोकने में योगदान देने पर चर्चा की गई। ग्वालियर से आगे की यात्रा में स्वयं अशोक पमनानी यात्रा के सहचर बन गए।
शिवपुरी से गुना के लिए बढ़ चली यात्रा एवं गुना के बीच पड़ने वाले कस्बों में केबल कर्मियों से भेंट करते हुए रात्रि विश्राम गुना में ही किया, लेकिन गुना पहुंचते-पंहुचते ग्वालियर से गुना के बीच हाइवे की सड़के मध्यप्रदेश की बदहाली पर आंसू बहा रही थीं। गाड़ी के दो टायर गुना तक दम तोड़ बैठे। दोनाें ही टायरों में सैप्रेशन आ गया और उनमें से एक टायर बस्ट भी हो गया, जबकि दिल्ली से चलते वक्त चारों टायर नए डलवाए गए थे। टायरों की समस्या गुना में सुलझ पानी मुश्किल लग रही थी क्योंकि ट्यूबलैस टायरों की गुना में कोई मांग ना होने के कारण दो टायर मिलना कठिन हो गया था, आखिरकार ढूँढ़-ढाढ़ कर एक एम-आर-एपफ़ व एक जे-के-टायर ही लगवाना पड़ा।
नए टायर लगवाने के बाद जिला अदालत परिसर गुना में वृक्षारोपण कार्यक्रम रखा गया। जिला अदालत गुना के रजिस्ट्रार श्री मुकेश दांगी सहित बार एसोसिएशन अध्यक्ष श्री रामपाली सिंह परमार एवं प्रमुख वकीलों के साथ गणमान्य व्यक्तियों ने भी कार्यक्रम में भागीदारी की। वृक्षारोपण में गुना अदालत के रजिस्ट्रार की बिटिया के योगदान से वृक्षारोपण कार्यक्रम अविस्मरणीय बन गया। मीडिया कवरेज ज्ञडश्र चैनल द्वारा किया गया जबकि प्रिन्ट मीडिया की मौजूदगी भी कापफ़ी संख्या में रही। गुना कार्यक्रम में परविन्द्र सिंह, बैजू, रवींद्र रघुवंशी, सुनील सारस्वत, सहित अभिभावक संघ सचिव एच-के-गौड, सदस्य मनोज पालिया (एडवोकेट), शपफ़ीक खान आदि सहित अनेक लोगों ने भाग लिया।
गुणा से राघोगढ़, बीनागंज-ब्यावरा, नरसिंह गढ़ के केबल टीवी ऑपरेटरों से मिलते हुए यात्रा भोपाल पहुंच गई। भोपाल पहुंचते-पहुंचते पिफ़र से माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या मामले पर दिए जाने वाले निर्देश को लेकर कयास लगाए जाने लगे क्योंकि धीरे-धीरे समय 28 सितम्बर की ओर बढ़ता जा रहा था। भोपाल में भास्कर टीवी (वर्तमान में हैथवे) एवं डीजी केबल के सामूहिक योगदान से सरकारी अस्पताल के प्रांगण में वृक्षारोपण कार्यक्रम हुआ, जिसमें गिरीश शर्मा (पार्षद एवं ऑपरेटर डिजी केबल, भोपाल) व पफ़ूलसिंह (प्रमुख हैथवे केबल) आदि ने भी योगदान दिया। भोपाल में वृक्षारोपण आदि कार्यक्रम के बाद यात्रा इन्दौर के लिए रवाना हुई। सीहोर-आष्टा-देवास होते हुए यात्रा इन्दौर के निकट पहुंच रही थी कि गाड़ी में कुछ खराबी के संकेत मिलने शुरू हो गए।
इन्दौर पहुंचते ही गाड़ी को सबसे पहले टोयटा की वर्कशाप ‘राजपाल टोयाटा’ ले जाया गया। वर्कशाप में बताया गया कि गाड़ी में कहीं पानी मिला डीजल भर गया है, अतः पानी के कारण गाड़ी में परेशानी आ रही है। उन्हाेंने एयर पम्प मारकर पानी निकाल कर भी दिखलाया, और पिफ़र वह पिफ़ल्टर-पम्पादि चेन्ज कर गाड़ी ओके कर थमा दी। राजपाल टायेटा वर्कशाप से गाड़ी ठीक करवा कर रात्रि विश्राम के लिए होटल इन्पिफ़नीटी पहुंचे। यह भव्य होटल बाम्बे हास्पिटल के सामने स्थित है जिसे बहुत ही किपफ़ायती शुल्क में आनन्द प्रकाश गुप्ता के द्वारा दिलवाया गया। पिछली यात्रा में भी इसी होटल में रात्रि विश्राम किया था हमने। होटल में ही इन्दौर के कई साथी आ गए जिनके साथ कल के कार्यक्रम की रूपरेखा बन कर गाड़ी की थोड़ी ट्राई लेने के लिए निकले, लेकिन गाड़ी में वही समस्या पुनः आ गई जिसके लिए गाड़ी को टोयटा वर्कशाप ले जाया गया था।
आज 28 सितम्बर को माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी अयोध्या मामले में लगी याचिका पर अपना मत स्पष्ट करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए जाने वाले फैसले पर से रोक हटा ली। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका पर न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि पचास साल से आप कहा चुप बैठे थे, जो कि अब जब न्यायालय इस पर फैसला सुनाने जा रहा है तब आप जागे, वास्तव में आप समय से बहुत पीछे चल रहे हैं। उच्चतम न्यायालय की प्रतिक्रिया के बाद तुरन्त ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 30 सितम्बर को 3ः30 बजे पफ़ैसला सुनाने की घोषणा कर दिए जाने से देश भर में एक बार पिफ़र से वातावरण गर्माने लगा। पिफ़र सारा देश ही जैसे तनाव में आ गया और आशंकाओं के घने कोहरे ने देश को पूरी तरह से ढांप ही लिया। चारों ओर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मियों की कदमताल असुरक्षा में सुरक्षा की गारन्टी-सी देने की कोशिशें करने लगे, लेकिन वास्तव में चंहुओर दहशत का वातावरण पूरी तरह से तनाव बढ़ाता जा रहा था।

गाड़ी की उसी खराबी की सूचना राजपाल टोयाटा वर्कशाप को दे दी गई, तब भी दोपहर बाद वह टोह करके गाड़ी अपनी वर्कशाप में ले जा पाए। सारे दिन गाड़ी राजपाल टोयटा वर्कशाप में रखने के बाद ठीक करने बजाय दो रात इन्दौर में गुजार कर पिफ़र इटारसी के लिए रवाना हो गए। इन्दौर से छापरा, खातेगांव, नेभावर, हरदा, भानपुरी होते हुए इटारसी पहुंच गई यात्रा। इन्दौर में वृक्षारोपण एवं मीडिया से मुलाकात कार्यक्रम गाड़ी के बगैर ही किया गया, क्योंकि गाड़ी राजपाल टोयटा वर्कसाप में रिपेयर हो रही थी। इटारसी में महेश भिहानी यात्रा के स्वागत में लम्बी प्रतीक्षा में थे।
इटारसी में यात्रा स्वागतोपरांत अगले दिन नागपुर के लिए कूच करना तय था, रात्रि विश्राम इटारसी में हुआ। नागपुर रवाना होने के लिए पहले सुबह जब गाड़ी स्टार्ट की तो वही प्रोब्लम इन्दौर वाली आ गई और गाड़ी ने स्टार्ट होने से ही सापफ़-सापफ़ मना कर दिया, तब मिहानी जी के प्रयासों से मैकेनिक के हवाले की गई कार। इटारसी से नागपुर के लिए रवानगी का दिन भारतीय इतिहास के लिए विशेष महत्व रखता था, क्योंकि यह वही 30 सितम्बर का दिन था जब अयोध्या मामले पर माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए जाने वाले पफ़ैसले और पफ़ैसले पर देशवासियों की प्रतिक्रिया पर विश्वभर की निगाहें टिकी हुई थीं। पफ़ैसला 30 सितम्बर को 3ः30 बजे सुनाए जाने की घोषणा की जा चुकी थी। पफ़ैसले पर प्रतिक्रिया के अंदेशे में देशभर में शान्ति-सौहार्द बनाए रखने के लिए भारी सुरक्षा बन्दोबस्त किए गए थे सारे देश में। देश के 36 शहरों को अति संवेदनशील क्षेत्रें की श्रेणी में रख कर अतिरिक्त सुरक्षा बन्दोबस्त किए गए थे। सम्भावनाओं का आंकलन कर पाना कठिन था, लेकिन अटकलों के वातावरण में सारा देश तनाव में था। मीडिया के लिए भी यह चुनौती भरी परीक्षा की घड़ी थी।
पूर्व निर्धारित समयानुसार न्यायालय ने पफ़ैसला सुनाना शुरू किया, जिसे बहुत ही संयम के साथ देशवासियों ने ग्रहण किया। धर्म-आस्था पर न्यायालय द्वारा सुनाया गया यह पफ़ैसला समझदारी के साथ सारा देश पचा गया, कहीं कोई छोटी-सी भी वारदात नहीं हुई। पूर्णतया शान्ति बरकरार है। यही भारतीय नागरिकों दुनिया को सन्देश गया कि साहस और संयम में देशवासियों का कोई सानी नहीं है। पफ़ैसले की व्याख्या मीडिया द्वारा बहुत ही सूझबूझ के साथ की गई एवं धार्मिक प्रतिनिधियों ने भी बहुत धैर्य से अपने-अपने पक्ष अवाम के सम्मुख बयान किए। साथ ही ऐसे मामले पर हर मौके का पफ़ायदा उठाने वाले भिन्न राजनीतिज्ञों ने भी सम्भाल-सम्भाल कर मुंह खोले। धीरे-धीरे ऊहा-पोह के बादल छंट गए एवं बहुत तेजी के साथ सारे देश में स्थितियां सामान्य हो गइंर्। पूर्णतया शान्ति के साथ सारा तनाव छूमन्तर हो गया।
अयोध्या पफ़ैसले के तनाव से मुक्त होते हुए देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले कामनवैल्थ गेम्स की शुरूआत ने मीडिया में जगह हथिया ली जिसके कारण अयोध्या मामले पर लम्बी-लम्बी बहसों के लिए समय ही नहीं मिल पाया मीडिया को। बहरहाल एक ऐतिहासिक न्यायिक प्रक्रिया और उस पर देशवासियों की प्रतिक्रिया पर सारा विश्व ही स्तब्ध रह गया है। ऐसे तनावपूर्ण वातावरण में चेतना यात्रा-6 इटारसी में गाड़ी की मरम्मत में सारे दिन व्यस्त रही। इन्दौर टोयोटा वर्कशाप में हमें यह तो बता दिया गया था कि गाड़ी में पानी मिला डीजल होने के कारण प्रोब्लम आ रही है, लेकिन दो दिन उनकी वर्कशाप में रहने के बावजूद भी उन्होने गाड़ी को पानी रहित नहीं किया था। यह काम इटारसी में करवाया गया। 30 सितम्बर को कहीं जाना तो सम्भव नहीं था, अतः गाड़ी का डीजल टैंक भी पूरी तरह से सापफ़ करवा लेने के बाद गाड़ी स्टार्ट तो हुई लेकिन प्रोब्लम खत्म नहीं हो सकी। आखिरकार एक रात और इटारसी में रूकना पड़ा। तब अगली सुबह इटारसी से भोपाल गाड़ी को टोह कर ले जाना पड़ा।

भोपाल टोयोटा वर्कशाप में एक अक्टूबर को गाड़ी भर्ती करवा देने के बाद वर्कशाप के सामने बने ‘द मार्क’ होटल में चैकइन किया क्योंकि अगले दिन दो अक्टूबर और पिफ़र उसके बाद रविवार का अवकाश था। सोमवार को पफ़ाल्ट तलाशा गया, तब फ्रयूल इन्जेक्शन पम्प और पिफ़र पम्प के बाद किसी एक इन्जेक्टर में भी खराबी की सम्भावना व्यक्त की टोयटा वर्कशाप वालों ने। 70 हजार का पम्प एवं 27 हजार का एक इन्जेक्टर बताते हुए उन्होंने पांच-छः दिन सामान मंगवाने में लगेंगे कहकर यात्रा को भोपाल में ही रूके रहने को विवश कर दिया, तब हमने शीघ्र ही पम्प व चार इन्जेकटर दिल्ली से मंगवाए, जिसे लेकर अगली सुबह दिल्ली से भोपाल पहुंच गया बन्दा। स्वयं टोयटा मैकेनिक भी हतप्रभ हो गए पम्प व इन्जेक्टर देखकर। अगला सारा दिन टोयटा मैकेनिक ने पम्प व इंजेक्टर डालने में ही लगा दिया, लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। भोपाल टोयटा वर्कशाप के मैकेनिक पूर्णतया निपुण मैकेनिक नहीं थे। वह इन्दौर के मैकेनिक के दिशा निर्देशों पर ही सारा काम कर रहे थे।
मध्यप्रदेश वासियों के लिए टोयटा की गाड़ियां खरीदना कितनी बड़ी सजा थी यह सब हम भोपाल टोयटा वर्कंशाप में लगातार देख रहे थे, क्योंकि हमारे सामने ही वहां कई गाडियों में पम्प व इजेंक्टर बदलने की सलाह दी जा रही थीं। तकरीबन दो लाख रूपए का इस्टीमेट कार मरम्मत का हो, तब कार वालों की स्थिति कैसी होती है। यह भोपाल की टोयटा वर्कशाप में बार-बार देखने को मिल रहा था। मध्यप्रदेश के लिए यह भी अभिशाप की बात है कि यहां कुल दो ही शहरों इन्दौर व भोपाल में ही टोयटा की वर्कशाप हैं और इन दोनाें का मालिक भी एक ही है। जबलपुर की टोयटा वर्कशाप बन्द हो चुकी है। इन्दौर की टोयटा वर्कशाप में काम ज्यादा होने के कारण निपुण व अनुभवी मैकेनिक होते हैं, जबकि भोपाल टोयटा वर्कशाप एक प्रकार से पाठशाला के रूप में काम करती है। आवश्यकतानुसार इन्दौर से भोपाल भी बुलाए जाते हैं मैकेनिक, इसीलिए हमने भी इन्दौर से अनुभवी मैकेनिक को भोपाल बुलवाने की कापफ़ी गुजारिशें की, लेकिन उन्होंने हमारे इन्जेक्टर में खराबी बताते हुए अपने इन्जेक्टर बेचने पर जोर दिया। तब अगले दिन छः नए इन्जेकटर हमने और मंगवा लिए दिल्ली से। पिफ़र एक और दिन ढल गया, शाम होने को आ गई, पम्प व इन्जेक्टर डाल कर गाड़ी ट्रायल पर गई तब टोयटा का मैकेनिक पम्प इन्जेक्टर के बाद गाड़ी की क्लच प्लेट बदलने की बात करने लगे, जिससे हमारा धैर्य टूट गया, क्योंकि भोपाल के टोयाटा वर्कशाप में एक अक्टूबर से सात अक्टूबर तक गाड़ी खड़े-खड़े ठीक होने की दिशा में एक कदम भी बढ़ती नहीं दिखाई दे रही थी। वहां की पाठशाला में सिपफ़र् प्रयोग ही किए जा रहे थे गाड़ियों पर। ऐसे कई लोगों से इसी तरह की शिकायतें हमें मिलीं, जो आए तो गाड़ी ठीक करवाने थे, लेकिन मजबूरन उन्हें वहां से बीमारी ही लेकर जानी पड़ी।
भोपाल की वर्कशाप के मैकेनिकों से भी हमें यही जानकारी मिली कि वह रिपेयर का नहीं बल्कि रिप्लेसिंग का काम करते हैं। उन्हें इसी की टेªनिंग दी गई है, कि पुर्जा बदलों उसकी रिपेयर नहीं। अधिक से अधिक बिल बैठाने वाले मैकेनिकों को सैलरी के साथ इन्सैटिव भी दिया जाता है यह भी हमे जानने को मिला, तब अपनी गाड़ी वहां की वर्कशाप से मुक्त करवाना ही हमने ज्यादा बेहतर समझा। तब भी साढ़े तेरह हजार का बिल हमें थमा दिया गया। बगैर कोई पुर्जा डाले सिपफ़र् लेबर का यह बिल था जिसे भुगताए बगैर गाड़ी मुक्त नहीं करवाई जा सकती थी। टोयटा की वर्कशाप से बामुश्किल अपनी गाड़ी को खराब हालात में ही मुक्ति दिलवाकर हमने अगले दिन भोपाल की एक प्राइवेट वर्कशाप में रिपेयर करवाया तब कहीं जाकर उससे आगे की यात्रा शुरू की जा सकी। भोपाल से नागपुर के लिए रवाना हुए लेकिन नागपुर-भोपाल के बीच बैतूल में पिफ़र उसी खराबी के कारण यात्रा में विघ्न पड़ गया। बैतूल में पिफ़र से एक मैकेनिक ने जोर-आजमाइश की, लेकिन वहां से टोह कर नागपुर लानी पड़ी गाड़ी। भोपाल में हाइथ वे सम्भाल रहे पफ़ूल सिंह निरन्तर हमारा उत्साह बढ़ाए रहे एवं अपना पूरा समय हमारी समस्या के समाधान में लगाया।

बैतूल का ऑपरेटर शहर से बाहर होने के कारण उपलब्ध नहीं हो पाया लेकिन यात्रा का संदेश उन तक भिजवा दिया गया। नागपुर में लम्बी प्रतीक्षा के बाद भाई सुभाष बान्ते को जरूरी कार्यवश मुम्बई-अहमदाबाद जाना पड़ा, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में नरेन्द्र महेषकर व राज ठाकरे बराबर आखिर तक हमारे साथ बने रहे। नागपुर के केबल व्यवसाय में कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते सबसे एक साथ मिलना सम्भव नहीं था, अतः जी-टी-पी- एल- व यू-सी-एन- से अलग-अलग भेंट कर उन्हें समूची मानव जाति के लिए ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता लाने में सहयोग देने की अपील की। इंडष्ट्री की भावी सम्भावनाओं पर विस्तृत चर्चा के बाद वहां के गरबा का भी आनन्द लिया। पृथ्वी के बढ़ते तापमान एवं प्राकृति में आ रहे बदलावों के प्रति सबको जागरूक करते हुए दैनिक भास्कर प्रमुख प्रकाश दुबे से भेंट वार्ता के साथ-साथ गाड़ी रिपेयर करवाने में पूरे दो दिन बीत गए। फिर से पम्प व इन्जेकटर की समस्या के कारण गाड़ी वही निजी वर्कशाप में रिपेयर के लिए छोड़कर नई गाड़ी किराए पर लेकर यात्रा पर आगे बढ़ने की तैयारी की। पिफ़र से गाड़ी पर नए स्टिकर आदि लगा कर नागपुर से रायपुर के लिए रवाना हो गई यात्रा। सुभाष बान्ते शीघ्र ही हमेें सहयोग देने के लिए वापिस नागपुर लौट आए। ग्लोबल वार्मिंग व पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए कार्यक्रम का आयोजन कर सुभाष बान्ते एवं अन्य साथियों ने जागरूकता लाने में भरपूर सहयोग दिया। गाड़ी सुभाष बान्ते को सुपुर्द कर यात्रा दूसरी गाड़ी से आगे बढ़ी। इस बार गाड़ी के मामले में हम वह गलती नहीं करना चाहते जो पूर्व में की जा चुकी हैं, क्योंकि पूर्व में हमने सबसे बड़ी गलती तो यही की कि गाड़ी ठीक करवाने के लिए हम इन्दौर की टोयटा वर्कशाप में चले गए। दूसरी सबसे बड़ी गलती यह रही कि गाड़ी ठीक किए जाने के बाद वहीं रूक कर ठीक तरह से गाड़ी की ट्रायल लेने की बजाए आगे बढ़ते गए। इन्दौर से गाड़ी ली और सीधे इटारसी पहुंच गए। इसी प्रकार भोपाल गाड़ी ठीक करवाई और सीधे नागपुर के लिए रवाना हो गए। अब नागपुर से भी गाड़ी ठीक करवाकर यदि हमने बगैर तसल्ली के साथ ट्रायल लिए बिना आगे बढ़ना जारी रखा तब पिफ़र से खराबी आने पर एक नए मैकेनिक को दिखलाने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। अतः सावधानी बरतते हुए यात्रा हेतु दूसरी गाड़ी ली है, जबकि अपनी गाड़ी को तसल्ली से ठीक करवाकर 22 अक्टूबर को मुम्बई ले आएंगे सुभाष भाई।
इटारसी-
यह एक ऐसा शहर है जिसका जिक्र करना आवश्यक है पाठकों के लिए, क्योंकि 30 सितम्बर को अयोध्या मामले पर आये ऐतिहासिक न्यायालय के पफ़ैसले के कारण हमें इस शहर को बारीकी से जानने का भरपूर अवसर मिल गया। इटारसी में हमारे सहयोगी बने महेष मिहानी का अधिकांश समय इसी भांति दूसरों को सहयोग देने में बीतता है, क्योंकि प्रतिदिन यहां से 160 पैसेन्जर टेªन गुजरती हैं। देश की चारों मैट्रो सिटी को जोड़ने वाली टेªनों का यह एक मात्र बड़ा जंक्शन भी है। यहां से तमाम रेलगाड़ियों में भोजन-पानी आदि भी लिया जाता है। इस जंक्शन से गुजरने वाली तमाम टेªन तकरीबन पन्द्रह-बीस मिनट तो यहां रूकती ही हैं। रेलवे स्टेशन के निकट ही यहां अनेक बारबर शाप है, जिनकी अधिकतम ग्राहकी इधर से गुजरने वाली टेªनों से ही है।

टेªनों में पैसेंजर्स के लिए भोजन-पानी उपलब्ध करवाना भी यहां एक बड़ी इंडष्ट्री के रूप में पफ़ैला हुआ है। एक प्रकार से देखा जाए तो इटारसी रेलवे का बड़ा जंक्शन है। यहां कुल छः प्लेटपफ़ॉर्म हैं। अधिकांश इटारसी वासियों का जीवन यापन रोजगार रेलों की आवाजाही पर ही निर्भर है। ठहरने के लिए बहुत अच्छे होटल भले ही ना हों, लेकिन खाना और खाने की पैकिंग यहां उतम मिलती है। यहां से गुजरने वाली अधिकांश रेलगाडियों को खाना उपलब्ध करवाने वाला शहर इटारसी कृषि उपज में भी विशेष स्थान रखता है। सोयाबीन की यहां अच्छी खेती होती है। जबकि दूसरे नम्बर पर यहां उत्तम गेहूँ उगाया जाता है। खेती-बाड़ी और रेलों की रेलमपेल की बीच व्यस्त रहते हैं, इटारसी वासी।
इटारसी के केबल टीवी ऑपरेटर अनिल मिहानी के दूसरे भाई महेष मिहानी ने बताया कि वह कुल दस सगे भाई हैं। सभी भाई इटारसी में ही रहते हैं, बड़ा परिवार है, भाईयों के बच्चे भी बड़े हो गए हैं अतः जूते के काम को छोड़कर तकरीबन हरेक व्यवसाय से जुडा है मिहानी परिवार। मीडिया-पोलिटिक्स से लेकर खेती बाड़ी सभी क्षेत्रें में मिहानी परिवार की पैठ है इटारसी में। इसी इटारसी में 30 सितम्बर को अयोध्या मामले पर आया इलाहाबाद उच्च न्यायालय का पफ़ैसला सुनने को मिला और प्रतिक्रिया में पूर्णतया शान्ति भी देखने को मिली। कुल दो रातें इटारसी में बीती, लेकिन गाड़ी को टोह करके ही भोपाल ले जाना पड़ा इटारसी से।