चेतना यात्रा (भाग 5)बिलासपुर से मैंसूर
छत्तीसगढ़ से आगे अब मध्य प्रदेश के लिए रवाना हुई है यात्रा। पूरा बार्डर क्षेत्र दोनो ही राज्यों का उपेक्षा का शिकार है, इस क्षेत्र में आदिवासियों की बहुतायत है। मन तो करता है कि इन आदिवासियों के बीच कुछ समय बिताया जाए, इनके बारे में जाना जाए। इनके सस्ंकार परम्पराएँ सामान्य से काफी कुछ अलग हटकर है, लेकिन बहुत ज्यादा मेहनत कश है, इनके गठीले शरीर पर सजे आभूषण इनकी संस्कृति के बारे में और जानने के लिए आकर्षित करते है। सुबह बिलासपुर के अशोक अग्रवाल जी के विशाल निवास स्थान से विदा लेकर यात्रा जबलपुर के लिए रवाना हुई। यह मार्ग जंगलों से होते हुए अमर कण्टक होकर निकलता है। अमरकष्टक की अपनी धार्मिक महिमा है, यहां धार्मिक श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहता है। जैनियों का भी तीर्थ स्थान इधर है। यह क्षेत्र अपना अलग आकर्षण रखता है।
इसी मार्ग पर डिण्डोरी भी एक छोटा सा कस्बा पड़ता है। डिण्डोरी के केबल टी-वी- ऑपरेटर यात्रा का स्वागत करने आ पहुंचे, तब आगे शाहपुर के ऑपरेटर भी आगे स्वागत के लिए प्रतीक्षा में खड़े है। डिण्डोरी के ऑपरेटर ने बताया कि अलग से कुछ समय निकाल कर आईएगा, तब यहां के आदिवासियों के बारे में बहुत कुछ विचित्र जानने को मिलेगा। इस क्षेत्र के आदिवासियों का जीवन बहुत साइन्सटिफिक है। इनके पास प्रकृति के अनेक रहस्य जानने के लिए है आदि-आदि। डिण्डोरी से आगे बढ़ी यात्रा तो आगे शाहपुरा टाऊन के ऑपरेटरों ने स्वागत किया, उनसे विदा लेकर सीधे जबलपुर पहुंची यात्रा।
जबलपुर पहुंचते-पहुंचते रात काफी बीत चुकी थी अतः वहां रात्रि विश्राम के लिए तो एक अच्छा होटल म-प्र्र-टूरिज्म नाम का मिल गया लेकिन भोजन के लिए समय ओवर हो चुका था। भोजन ना भी मिले तब भी ब्रैड बटर आदि का बन्दो बस्त हमारे साथ था, लेकिन देर से पहुंचने के बावजूद भी वहां भोजन का प्रबंध कर ही लिया। जबलपुर में यूं तो अपने कई है लेकिन हमारी कोशिश यही होती है कि अपने व्यक्तिगत आवश्यक्ताओं के लिए किसी से भी मदद ना ली जाए। पप्पू चौक्से, शेखर अग्रवाल, सुरेन्द्र दुबे, नीलेश भाई सहित अनेक प्रियजन जबलपुर में है, लेकिन इस यात्रा में मीटिंग बुलाने की जिम्मेदारी दूरदर्शन केन्द्र जबलपुर को दी हुई थी, अतः हमारा प्रयास यही था कि दूरदर्शन अधिकारियों को अपनी कोशिशें स्वतन्त्र रूप से करने दी जाए। सुबह दूरदर्शन केन्द्र जबलपुर मीटिंग में हैथवे एंव सैल (पप्पू चौक्से) के अतिरिक्त कोई अन्य एम-एस-ओ- उपस्थित नहीं थे, जबकि यहां भास्कर ग्रुप का बी टी-वी-, यू-सी-एन- (नागपुर) सहित सिटी केबल भी है।
जबलपुर डैस सिटी है, अतः यहां एनॉलाग प्रसारण नहीं होता है बल्कि पूर्णतया डिजीटाइजेशन पर चला गया है जबलपुर। दूरदर्शन केन्द्र जबलपुर के भी डिजीटाईजेशन में अपने चैनलों को लेकर कोई प्रोब्लम नहीं है, फिर भी एम-एस-ओ- के साथ दूरदर्शन केन्द्र के अधिकारियों का ताल-मेल होना आवश्यक है। उसका प्रयास इस मीटिंग से शुरू हो गया है जो कि बाद में भी जारी रहेगा।
दूरदर्शन केन्द्र जबलपुर में मीटिंग के बाद केबल टी-वी- ऑपरेटरों के साथ एक मीटिंग हैथवे के ऑफिस में बुलाई गई थी, जिसमें डैस की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई एंव भावी सम्भावनाओं पर डिजीटल इण्डिया को लेकर लम्बी चर्चा के बाद चौक्से परिवार पहुंच कर उनको हुए पित्रशोक पर संवेदनाएँ प्रकट की। वहां से अगले पड़ाव के लिए निकलने मे काफी देर हो गई, क्योंकि जबलपुर से चलकर यात्रा को आज सीधे नागपुर पहुंचना है। आज का यह मार्ग भी पूर्णतया मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का बार्डर क्षेत्र है। हांलाकि छत्तीसगढ़ में रायपुर से सीधे नागपुर जाना ज्यादा सरल रहता, लेकिन मध्य प्रदेश यात्रा से फिर पूरी तरह से अछूता रह सकता था, अतः यात्रा के रूटमैप में जबलपुर एंव भोपाल भी था। मध्य प्रदेश में बान्धवगढ़ भी रूटमैप में था, लेकिन जानकारी मिली कि अभी तो बान्धवगढ़ खुला ही नहीं है, अतः रूट में थोड़ा सा चेन्ज किया गया। जबलपुर से नागपुर पहुंचते-पहुंचते एक टायर पंचर हो चुका है अतः फिलहाल स्टेप्नी के बिना चला रहे हैं गाड़ी।
नागपुर दूरदर्शन केन्द्र में मीटिंग रखी हुई थी, बाद में टायर का पंचर लगवाना रविवार के कारण थोड़ा मुश्किल हुआ, लेकिन नागपुर से हैदराबाद पहुंचने की जल्दी में नागपुर ऑपरेटरो के साथ मीटिंग नहीं रखी, क्योंकि नागपुर में दिल्ली से पहुंचे सामान की भी गाड़ी में सैटिंग बनानी जरूरी थी। दिल्ली से आए रेलवे पार्सल्स को रेलवे स्टेशन से लेकर अपने पास तो सुभाष बान्ते ने रख लिए थे, लेकिन उन्हें खोलकर गाड़ी में सैट करने में काफी पसीने बहाने पड़े अमन को, वह पर गर्मी वाकई काफी ज्यादा थी नागपुर में आज का सफर भी काफी लम्बा है और सुना है कि सड़को की स्थिती भी कुछ ठीक नहीं है, अतः जल्दी निकलना चाहिए, लेकिन नागपुर पहुंच कर जल्दी निकल पाना सम्भव नहीं हो पाता है। लगभग शाम हो गई जब सुभाष बान्ते, नरेन्द्र ठाकरे आदि यात्रा को विदा करते-करते स्वंय नागपुर के बाहर तक आ गए, वहीं उनके साथ थोड़ा खा-पीकर यात्रा को आगे बढ़ाया क्योंकि सुबह से भी कुछ खाने की फुर्सत नहीं मिल सकी थी और आगे के सफर में भी कुछ मिलने वाला नहीं है। नागपुर से हैदराबाद का मार्ग वाकई बहुत ज्यादा खराब स्थिती में है। अतः हैदराबाद आधीरात के भी बहुत बाद में पहुंचना हुआ।
आधी रात के बाद हैदराबाद पहुंचने पर होटल ढूंढने में काफी समय बेकार हुआ, लेकिन एक अच्छी बात थी कि भोजन पैक करवा कर रखवा दिया गया था वहा। हैदराबाद की व्यवस्था भाई सेवा सिंह जी ही देख रहे थे, जबकि वह स्वंय मुम्बई गए हुए थे। सेवा सिंह जी ने वहां की जिम्मेदारी हरीष जी की लगाई थी जिन्होंने होटल बुक करवाकर भोजन भी पैक करवा कर रखवा दिया था।
दूरदशर््न केन्द्र हैदराबाद में वहां के एम-एस-ओ- के साथ मीटिंग रखी गई थी। हैदराबाद भी पूरी तरह से डिजीटल हो गया है डैस के द्वितीय चरण के अड़तीस शहरों में हैदराबाद भी शामिल है। तकरीबन छः एम-एस-ओ- अभी काम कर रहे है, लेकिन कल को इनकी संख्या में बढ़ोतरी होने की सम्भावनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता है। यहां डैस एरिया को लेकर भी थोड़ा कन्फ्रयूजन है, लेकिन ऐसा प्रयास दूरदर्शन अधिकारियों के साथ एम-एस-ओ- का मिलना पहली बार हुआ है जिसकी सराहना यहां हर केाई कर रहा है। अभी हाल ही में तो आन्ध्रप्रदेश में से एक और प्रदेश तेलगांना को निकाला गया है अतः तेलंगाना का अपना एक चैनल भी पिछले ही शनिवार को शुरू किया गया है। सप्तागिरी नाम का यह चैनल भी अन्य प्रादेशिक चैनलों की तरह चौबीस घण्टों का है। इसी तरह एक चैनल विजयवाडा से भी सप्तागिरी आन्ध्र चलता है। तेलंगाना प्रदेश का यह चैनल सभी एम-एस-ओ- प्रसारण करें इस आग्रह के साथ मीटिंग निबटने पर वहां के केबल टी-वी- ऑपरेटरों द्वारा बुलाई गई मीटिंग लेकर हरीष भाई के साथ लंच कर यात्रा आगे के पड़ाव कीओर बढ़ चली।
दशहरा पर्व की यहां धूमधाम से शुरूआत हो चुकी है। यहां भी दशहरा पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आज अपने वाहनों को साफ करने एंव सजाने पर लगे हुए है लोग। केले के पेड़ एंव पेठा यहां की पूजा में विशेष महत्व रखते है। वाहनों की सजावट में भी केले का विशेष इस्तेमाल यहां किया जाता है।
हैदराबाद से रवाना हो कर यात्रा महबूूूब नगर दूरदर्शन केन्द्र पहुंची जहां मीटिंग बुलाई गई थी। महबूबनगर में अभी एनॉलाग प्रसारण ही हो रहा है अतः दूरदर्शन चैनलों को प्रोपर तरह से वहां ऑपरेटर नही चला रहे है। अभी मात्र 86 चैनल वहां प्रसारित किए जा रहे है, जबकि नजदीकी टाऊन को सीमा के ऑपरेटर को भी वहां बुलाया गया था, जो कि कुल 45 चैनल ही चला रहा है सभी आपरेटरों को केबल टी-वी- एक्ट की जानकारी एवं एक्ट का पालन करने का आग्रह कर यात्रा कुरनूल दूरदर्शन केन्द्र पहुंची। कुरनूल में भी वही हाल है मात्र 98 चैनल एनॉलाग पर यहां चल रहे हैं लेकिल डिजीटल की भी पूरी तैयारी कर रखी है। दूरदर्शन केन्द्र कुरनूल के अधिकारी दक्षिणामूर्ति सहित अन्य के साथ केबल टी-वी- ऑपरेटरों की मीटिंग काफी सकारात्मक रही। कुरनूल के केबल टी-वी- आपरेटरों की एसोसिएशन भी बनी हुई है, उसके प्रमुख रमेश ने अन्य ऑपरेटरों सहित आल इण्डिया आविष्कार डिश एण्टिना संघ को भी ज्वाईन किया।
यहां के आपरेटरों से दूरदर्शन केन्द्र कुरनूल को कोई शिकायत भी नहीं है। बड़े सोहार्द पूर्ण वातावरण में मीटिंग होने के बाद रात ज्यादा हो गई अतः यहीं पर रात्रि विश्राम का निर्णय लिया गया। अगली सुबह से ही पहली मीटिंग नान्दियाल में रखी हुई है। यहां के केबल टी-वी- ऑपरेटर एन- जया चन्द्र रेड्डी एंव लखेन्द्र रेड्डी ने डिजीटल कन्ट्रोल रूम लगाया है। उनके हैडेण्ड पर ही दूरदर्शन केंद्र नान्दियाल के अधिकारी एन- प्रभाकर रेड्डी को भी निमन्त्रित किया गया था, अतः भव्य स्वागत सतकार के बाद नान्दियाल में केबल टी-वी- आपरेटरों के आफिस में ही एक बड़ी मीटिंग रखी गई। ऑपरेटरों द्वारा यात्रा के स्वागत के लिए विशेष प्रबन्ध किया गया था। उन्होंने बाकायदा वहां बड़े-बड़े हार्डिंग भी यात्रा के स्वागत के लिए लगाए हुए थे। ऐसे हार्डिंग कई अन्य शहरों में यात्रा के स्वागत में लगे हुए मिले।
नान्दियाल में दशहरा के अवसर पर रामलीला का भी आयोजन हुआ करता है, लेकिन यहां उत्तर भारत में होने वाली रामलीलाओं से बिल्कुल अलग होते है आयोजन यहां किसी भी एक प्रसंग अर्थात जैसे सत्यवादी हरिशचंद्र पर या फिर कर्ण के किसी विशेष प्रसंग पर या फिर लक्ष्मण परशुराम संवाद पर अर्थात प्रतिदिन किसी भी एक प्रसंग को लेकर इनका आयोजन होता है अपनी ही भाषा में, एंव कलाकारों को उनकी कला के प्रति पुरस्कृत भी किया जाता है, उनकी ड्रेसेस व मेकअप की बहुत तैयारी की जाती है एंव दूरदराज क्षेत्रें से परिवार भारी सख्ंया में देखने के लिए आते है। नान्दियाल मीटिंग के साथ-साथ मीडिया से भी यात्रा पर बात कर यात्रा के अगले पड़ाव के लिए बढ़ी यात्रा। नान्दियाल से अगल है। दशहरा के साथ-साथ हो अक्टूबर की भी छुटियां शुरू हो गई है।
इसी के साथ-साथ तमिलनाडू की मुख्यमन्त्री जयललिता की गिरफ्रतारी हो जाने के कारण माहौल थोड़ा ठीक सा नहीं है, वैसे भी तमिलनाडू में केबल टी-वी- पूरी तरह से वहां की सरकार के नियन्त्रण में है। केबल टी-वी- ऑपरेटरों के कन्ट्रोल रूम पर तमिलनाडू सरकार का विशेष रिवेन्यू इन्स्पेक्टर बैठता है। वहां प्रति कनेक्शन मात्र 70/- रूपए तय किया हुआ है एंव 70/- रूपए सरकार के आरासु केबल को जमा करवाना होता है। मात्र 50/- रूपए वहां के केबल टी-वी- ऑपरेटरों के हिस्से मे आता है, उसमे ही उसे सारे खर्चे उठाने होते है।
जयललिता की गिरफ्रतारी हो जाने के कारण तमिलनाडू में हालात थोडे से सामान्य नहीं प्रतीत हो रहे है, जबकि दशहरा पूजा के हिसाब से बाजारों में पूरी रोनक है, लेकिन कहीं-कहीं सड़को के किनारे कुर्सियां डाले सैकड़ों समर्थक शान्तिपूर्वक अनशन पर बैठे दिखाई देते है। कई जगह काले कपड़ों में तो कहीं कई समर्थकों को अपना मुण्डन करवाते हुए भी देखा। उनकी नेता जेल में है तो यह सब तो एक सामान्य सी प्रतिक्रिया है उन लोगों की, क्योकि अभी शीध्र ही जब कोर्ट खुलेंगी तब उनकी जमानत पर भी सुनवाई होनी है इसलिए उनके समर्थक शान्तिपूर्वक अपना विरोध दर्ज करवा रहे है। अब पूरी तरह से छुट्टी का माहौल है दो अक्टूबर के साथ दशहरा भी आ गया है जिस पर बीच में शनि-इतवार भी है इस लिए सबकी लम्बी छुट्यिां पड़ गई है।
यात्रा आन्ध्र से चलकर तमिलनाडू होते हुए देर रात पोण्डिचेरी पहुंच गई।
लम्बा सफर करते हुए यात्रा जब पोण्डिचेरी पहुंची तब बहुत ज्यादा देर तो नहीं हुई थी, लेकिन साढ़े ग्यारह-बारह बज रहे थे। होटल जयराम में रूम तो बुक करवा दिया था, लेकिन उन्हें खाना पैक रखने के लिए भी बोला गया था, जो उन्होंने नहीं रखा था। रिशेप्शन पर अटैण्डैन्ट बिल्कुल भी कोपरेटिव नहीं था, उसने यह भी मदद नहीं की कि इस समय भोजन कहां मिल जाएगा यह भी बता दे। वह फौरन सो जाना चाहता था, जल्द बाज़ी में जो रूम दिया वह भी ठीक नहीं था, उनका बाथरूम का दरवाजा बन्द किए जाने पर उसे खोलने के लिए होटल के सिक्योरिटी मेैन को बुलाना पड़ा तभी खुला। रूम चेंज करने के लिए भी उस अटैण्डैन्ट ने असमर्थता दर्शा दी, बारहाल 1 सुबह होटल जयराम के मालिको से रात की शिकायत दर्ज करवाई लेकिन रात में खाने के लिए पोण्डिचेरी में काफी घूमना हो गया।
सिनेमा शो भी अभी-अभी छूटा था अतः हमें उम्मीद थी कि कुछ ना कुछ तो भूखे पेटों को मिल ही जाएगा, लेकिन काफी मुश्किले बढती जा रही थी। एक होटल अपनी गैस चूल्हे बन्द कर सफाईयाँ करवा रहा था, वहां से उनके पराठे व साम्भर तो हमने पैक करवा ही लिए, साथ मे थोड़ी सी बिरयानी के रूप में कुछ चावलों का कुछ बना भी पैक करवा लिया जिन्हें वह पराठे कह रहे थे वह कुल्चा जैसा कुछ था, जिसे खाने का मतलब कुछ भी हो सकता था साथ में साम्भर के रूप में उन्होंने जो भी दिया, वह हमने सिर्फ ले लिया था, बिल्कुल ठण्डा, जिसे खाने की बिल्कुल हिम्मत नहीं पड़ रही थी। अतः भोजन की तलाश में थोड़ा और घूमे तो पता लगा कि थोड़ी दूर पर एक हास्पिटल है उसके सामने एक दुकान है वहां खाने के लिए गर्म-गर्म कुछ मिल सकता है। वहां पहुंचे तो भीड़ पूरी थी, बिल्कुल भी फुर्सत नहीं थी, उसे वह चाऊमिन, एग चाऊमिन एंव चिकन चाऊमिन भी बनाने में लगा हुआ था। उसका तवा साफ करवा कर हमने अपने चावल गर्म करवाते हुए एग बिरयानी बनवाया और साथ में अपनी ब्रैड निकाल कर ब्रैड आमलेट बनवा कर खाया भोजन के बाद फिर होटल पहुंच कर बाथरूम का दरवाजा खुला ही रख रात गुजारी।
दूरदर्शन केन्द्र पोण्डिचेरी में सुबह ही मीटिंग रखी हुई थी, वहां सभी एम-एस-ओ- को निमन्त्रित किया गया था, लेकिन सलीम भाई को वह भूल गए थे। दूरदर्शन केन्द्र पोण्डिचेरी में जब यात्रा पहुंची तो वहां पूजा चल रही थी। विजय दशमी की पूजा जिसमें उपकरणो कैमरा आदि भी पूजा के लिए रखे हुए थे। मन्त्रेचारण के साथ पारम्परिक वेशभूषा में दो पण्डित पूजा करवाने में लगे हुए थे। पूजा में नारियल भी फोड़ा गया और पेठा भी नजर के नजरबट्टू की तरह एंव केले का भी पूजा में विशेष महत्व हाेता है, बाद में आरती भी सबने ली। इसके बाद मीटिंग की शुरूआत हुई। एक बहुत अच्छा अनुभव हुआ पोण्डिचेरी में साथ में दशहरा के अवसर पर घर परिवार से दूर होने के बावजूद भी घर से इतनी दूर दक्षिण के किनारे पर होते हुए विजय दशमी की पूजा में शामिल होने का अवसर मिल गया। पोण्डिचेरी दूरदर्शन केन्द्र में यहां के सभी पांचो एम-एस-ओ- शामिल थे। एनॉलाग डिजीटल दोनो ही यहां चल रहे है। अभी डैस के अर्न्तगत नहीं शामिल हुई है पोण्डिचेरी यह तीसरे चरण में शामिल हो जाएगी। पोण्डिचेरी वालों में भी थोड़ा सा भय तो दिखाई देता है कि तमिलनाडू की ही तरह यहां भी ना हो जाए क्योंकि यहां तमिलनाडू का प्रभाव ज्यादा है। दशहरा के साथ गान्धी जयन्ती की छुट्टियां शुरू हो चुकी है एंव जयललिता जी के जेल में होने के कारण तमिलनाडू के हाल सामान्य नहीं कहे जा सकते है।
इसलिए मीटिंग से निबटकर होटल मे ही मो-सलीम की पत्नी से भेंट की उन्हे रात की परेशानियों से अवगत करवाकर अगले पड़ाव के लिए बढ़ चली यात्रा। गान्धी जयन्ती के अवसर पर पोण्डिचेरी से निकल कर तमिलनाडू में जयललिता जी के लिए लोगों का शान्तिपूर्वक किया जा रहा विरोध कई जगह देखने को मिला कहीं भी हिंसक या उग्र विरोध नहीं मिला, लेकिन सड़कों के किनारे कुर्सियों पर लोग विरोध में दूर तलक अनशन पर बैठे दिखाई दे रहें थे। कहीं-कहीं काले कपड़ों में तो कही-कही लोग सड़कों पर अपना मुण्डन भी करवा रहे थे, बाकी सब पूर्णतः सामान्य ही था। दशहरा उत्सव के लिए बाजार पूरी तरह से सजे हुए थे और खरीदारों की भीड़ भी। पोण्डिचेरी से तमिलनाडू की यात्रा में भोजन की समस्या इस क्षेत्र में आनी ही थी अतः साथ में ब्रैड-बटर आदि तो रख लिए थे, लेकिन खीरा, टमाटर नहीं रख सके थे, जिन्हें लेने के लिए कई बाजारों में रूक कर हमने खीरा ढूढ़ा लेकिन कही भी नहीं मिला। शायद इस क्षेत्र में खीरा नहीं होता हो। इसलिए वैज सैण्डविच बनाने के लिए तो सामान ही नहीं था, लेकिन एक्सप्रैस हाइवे पर चढ़ने से पूर्व एक ढ़ाबा सा दिखाई दिया तब उस ढ़ाबे वाले को अपनी ब्रैड-बटर देकर ब्रैड आमलेट बनवा कर खाएं, चाय पी और यात्र आगे बढ़ कर सीधे मदुरई जाकर रूकी। मदुरई तमिलनाडू का एक बड़ा व धार्मिक आस्था वाला शहर है। यहां प्रसिद्ध मीनाक्षी टैम्पल है। मदुरई पहुंचते-पहुंचते भी रात काफी हो चुकी थी, लेकिन एक अच्छे होटल में रात्रि विश्राम के साथ-साथ भोजन भी मिल गया।
लोगो के रंग बिरंगे आकर्षक वस्त्र एक-दूसरे से बहुत भिन्न थे एवं सबकी पूजा मे एक अलग तरह का जोश था। कन्याकुमारी पहुंचने तक थोड़ी देर हो चुकी थी, अतः वहां बीच समुन्द्र में बनी स्वामी विवेकानन्द जी की मूर्ति तक जाना नहीं हो सका, क्योंकि वहां जाने वाली फेरी का समय खत्म हो चुका था। वही रूककर सूर्यास्त होते हुए कैमरे में कैद किए एंव प्राकृतिक घटा का आनन्द लिया लहरों के थपेड़ों को पृथ्वी से टकरा टकरा कर दिए जा रहे सन्देश को बहुत कुछ समझने की कोशिश की और फिर वहां से यात्रा केरल के लिए रवाना हो गई लेकिन इस बीच आने वाले अनेक छोटे-छोटे तमिलनाडु के कस्बों में दशहरा उत्सव की अनोखी घटा भी कैमरे में कैद करते हुए यात्रा आगे बढ़ती रही। तमिलनाडु से केरल पहुंच जाने के बाद दशहरा उत्सव का छोटा सा कार्यक्रम भी कहीं नहीं दिखाई दिया जबकि दोनो राज्यों की सीमाएँ एक-दूसरे से बहुत दूर या अलग नहीं है। हांलाकि रात्रि पहर तो कन्याकुमारी से ही शुरू हो चुका था, लेकिन केरल में दशहरा पर्व नहीं मनाया जाता है। केरल में ओनम का पूर्व मनाया जाता है। ओनम के रूप में गाय के मुख के साथ दो बड़े पुतले वहां खड़े कर रोजाना वहां पूजा की जाती है, उसे ही देखने के लिए लोगों की भीड़ वहां आती है।
लोगो के रंग बिरंगे आकर्षक वस्त्र एक-दूसरे से बहुत भिन्न थे एवं सबकी पूजा मे एक अलग तरह का जोश था। कन्याकुमारी पहुंचने तक थोड़ी देर हो चुकी थी, अतः वहां बीच समुन्द्र में बनी स्वामी विवेकानन्द जी की मूर्ति तक जाना नहीं हो सका, क्योंकि वहां जाने वाली फेरी का समय खत्म हो चुका था। वही रूककर सूर्यास्त होते हुए कैमरे में कैद किए एंव प्राकृतिक घटा का आनन्द लिया लहरों के थपेड़ों को पृथ्वी से टकरा टकरा कर दिए जा रहे सन्देश को बहुत कुछ समझने की कोशिश की और फिर वहां से यात्रा केरल के लिए रवाना हो गई लेकिन इस बीच आने वाले अनेक छोटे-छोटे तमिलनाडु के कस्बों में दशहरा उत्सव की अनोखी घटा भी कैमरे में कैद करते हुए यात्रा आगे बढ़ती रही। तमिलनाडु से केरल पहुंच जाने के बाद दशहरा उत्सव का छोटा सा कार्यक्रम भी कहीं नहीं दिखाई दिया जबकि दोनो राज्यों की सीमाएँ एक-दूसरे से बहुत दूर या अलग नहीं है। हांलाकि रात्रि पहर तो कन्याकुमारी से ही शुरू हो चुका था, लेकिन केरल में दशहरा पर्व नहीं मनाया जाता है। केरल में ओनम का पूर्व मनाया जाता है। ओनम के रूप में गाय के मुख के साथ दो बड़े पुतले वहां खड़े कर रोजाना वहां पूजा की जाती है, उसे ही देखने के लिए लोगों की भीड़ वहां आती है।
कन्या कुमारी से केरल पहुंचने में फिर रात ज्यादा हो चुकी थी, अतः त्रिवेन्द्रम पहुंचते-पहुंचते होटल व भोजन दोनों समस्याओं से दो चार होना पड़ा होटलों में भीड़ एक दम से बढ़ती जा रही थी, क्योंकि भारी सख्ंया में वहां लोग परिवार सहित छुट्टियँा बिताने पहुंच रहे थे। यह देख कर आश्चर्य हो रहा था कि अच्छा सा दिखाई देने वाले होटल में जाते ही पता लगता था कि फुल है। किसी शहर में ऐसा हमें पहली बार देखने को मिला क्योंकि ऐसे कई होटलों से वापिस आना पड़ा। होटल के साथ-साथ भोजन के लिए भी समय बीतता जा रहा था, अतः तय हुआ कि हम भी बटकर काम करें। हमने अपनी दो पार्टिया बना दी एक होटल के लिए तो दूसरी भोजन तलाश कर पैक करवा कर ले आने के लिए। आखिरकार जो होटल मिला उसमें खाना मिलता ही नहीं था, लेकिन खाने के लिए तो हमने अपना बन्दो बस्त कर ही लिया था। त्रिवेन्द्रम केरल का एक अच्छा और बड़ा शहर है। यहां सुबह दूरदर्शन केन्द्र में मीटिंग बुलाई हुई है। आज दो आक्टूबर है यानिकि महात्मा गान्धी जी की जयन्ती है, जबकि कल दशहरा है।
केरल में केबल टी-वी- बहुत ही सलीके से चलाते हैं ऑपरेटर।
यहां पर ऑपरेटरों की यूनिटी पूरे देश के केबल टी-वी- ऑपरेटरों के लिए एक मिसाल है। तकरीबन 3000 हैडेण्ड अभी भी केरल में होगे, जबकि 250 से अधिक तो लेाकल चैनल चलाए जाते है। एशियानैट, डैन, सिटी सहित केबल टी-वी- ऑपरेटरों का संगठित के-सी-सी-एन- (ज्ञब्ब्छ) एंव के-सी-सी-एल (ज्ञब्ब्स्) नैटवर्क अनेक शहरों में चलता है। केबल टी-वी- ऑपरेटरों की दो एसोसिएशन है, दोनो के अलग-अलग नैटवर्क है। इनमें एक गोविन्दम एंव दूसरे जयदेवगन प्रमुख है जिनकी केबल टी-वी- ऑपरेटरों में अच्छी रैस्पैक्ट है। दूरदर्शन केन्द्र त्रिवेन्द्रम की मीटिंग में आए ऑपरेटरों के लिए भोजन का भी इन्तजाम किया गया था। एक अच्छी मीटिंग त्रिवेन्द्रम दूरदर्शन केंन्द्र में हुई। केरल में एनॉलाग कन्ट्रोल रूम तो सभी जगह लगे हुए है, जबकि डिजीटल फीड सभी को पहुंचती है।
अतः दूरदर्शन चैनलों के लिए कोई समस्या नहीं है। त्रिवेन्द्रम मीटिंग के बाद यात्रा सीधे कोची के लिए रवाना हो गई क्योंकि कोची दूरदर्शन केन्द्र में यात्रा के स्वागत के लिए प्रतीक्षा की जा रही है। केरल के शहरों के नाम अलग है जैसे त्रिवेन्द्रम को तिरूवंतपुरम कहा जाता है, इसी तरह कोच्ची को इरनाकुलम भी कहा जाता है। त्रिवेन्द्रम में एशियानैट-डैन एंव के-सी-सी-एन- का ही नैटवर्क चलता है। वहां से केरल के प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारते हुए यात्रा कोच्ची पहुंची। कोच्ची दूरदर्शन केन्द्र में भी काफी ऑपरेटर प्रतीक्षा कर रहे थे। यहां एशियानैट, डैन, सिटी केबल के-सी-सी-एन- सहित भूमिका क्लीयरविजन टैन(जमद) एंव आर एण्टरटैन नैटवर्क आदि भी प्रचलन में है। तकरीबन सभी डिजीटल सेवा दे रहें है, अतः दूरदर्शन चैनलों के लिए समस्या नहीं है।
देशभर में आज दशहरा पूजन हो रहा है, लेकिन केरल में ऐसा कहीं भी नहीं प्रतीत हुआ कि इनका दशहरा उत्सव से कोई ताल्लुक भी है। हम यहां वह तलाशने की कोशिश कर रहे थे कि यहां के हिन्दु किस तरह दशहरा मनाते है, लेकिन दशहरा मनाने जैसा कहीं कुछ नहीं दिखाई दिया बल्कि एक शहर से गुजरते हुए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के दो व्यक्ति पूर्व गणवेश में एक स्कूटर पर जाते हुए दिखाई दिए आगे बढ़ने पर कुछ और पूर्ण गणवेश संघ के व्यक्ति देखे गए, लेकिन दशहरा उत्सव की कोई झलक नहीं दिखलाई दी। इसी बीच सड़क के किनारे दो बड़े से पुतले जिनका सिर गाय के मुख जैसा था, लेकिन काफी ऊंचा पुतला जैसे दो बैलों की जोड़ी बनाई गई हो दिखाई दी तब वहां रूक कर उनके बारे में और जानकारी ली गई।
मालूम हुआ कि यह शिव पावर्ती की अराधना के लिए ओनम होता है। ओनम बनाने में कई दिन लग जाते हैं यह विश्व का नम्बर वन ओनम है। इसकी ऊँचाई वजन आदि सबसे ज्यादा है इसे गिनीजरिकार्ड में दर्ज करवाने के लिए भी उन्होंने उन्हें इन्वाइट किया है। प्रतिदिन यहां आकर श्रद्धालु पूजन करते है एंव बाद में सब मिलकर इसे रस्सियों से खींचकर यहां यात्रा निकाली जाती है। कोच्ची से यात्रा सीधे त्रिशूर पहुंची।
त्रिशूर दूरदर्शन केन्द्र में कल सुबह मीटिंग रखी हुई है। केरल में जिस तरह से हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है इतनी देश के किसी अन्य राज्य में नहीं दीखती है। रात्रि विश्राम कर सुबह त्रिशूर दूरदर्शन केन्द्र में काफी बड़ी संख्या में ऑपरेटर आए हुए थे। मीटिंग बहुत ही सकारात्मक रही यहां भी एशिया नैट, सिटी, डैन एंव के-सी-सी-एन- के नैटवर्क है, जो कि डिजीटल फीड चला रहें है। यहां दूरदर्शन चैनलों को लेकर भी कोई शिकायत नहीं है एंव दूरदर्शन कर्मचारी भी मिलन सार है, सभी आपस में मिलते भी रहते है। त्रिशूर मीटिंग से निबट कर यात्रा सीधे काजिकोड जिसे कालीफट भी कहते है के लिए रवाना हो गई। आज सारे रास्ते बाज़ारों में आज खूब भीड़ नजर आ रही है क्योंकि कल ईद है। ईद के कारण इस क्षेत्र में अच्छे होटलों में कोई भी रूम उपलब्ध नहीं है, क्योंकि यहां के ज्यादातर परिवार तो बाहर काम करते है जो ईद पर वापिस आते है, उनमें से अनेक ऐसे भी होते है जिनके लिए होटलों मे बुकिग पहले ही हो चुकी होती है।
जबकि आज यात्रा को जी जोड़ से आगे बढ़ कर सुल्तान बतेरी विनयाड पहुंचेगी। सुल्तानबतेरी विनयाड एक हिल स्टेशन है, यही से रिजर्व फारेस्ट भी शुरू हो जाता है। यह फारेस्ट केरल कर्नाटक एंव तमिलनाडू तीन राज्यों में बंटता है, काफी बड़ा फारेस्ट एरिया है। कोच्ची के बाद केाजीकोड (कालीकट) पहुंची यात्रा, जहां यात्रा के स्वागत में होडिंग भी लगाए गए थे। भारी सख्ंया में ऑपरेटर वहां यात्रा की प्रतीक्षा में थे। कोजीकोड में के-सी-सी-एन- की जगह के-सी-सी-एल- एंव एशिया नैट,डैन केसीएल व विनयाड कम्युनिकेशन नैटवर्क थे, जो सभी डिजीटल मोड पर है अतः दूरदर्शन चैनलों के लिए कोई परेशानी नहीं है। के-सी-सी-एन- प्रमुख के गोविन्दम के द्वारा रात्रि विश्राम हेतु सुल्तानबतेरी के एक होटल में हमारे लिए समय रहते बुकिंग करवा दी गई थी, अन्यथा रात्रि विश्राम के लिए प्रोब्लम होना तय था। सुबह से ही इर्द की चहल-पहल वहां सब तरफ दीख रही थी। हमारे साथ में एक सहयोंगी ईद वाला भी था, अतः वह ईद की नमाज़ पढ़ कर आया तब वहां से यात्रा आगे बढ़ी। सुल्तानबतेरी में ही के-गोविन्दम भी मिलने आ गए। उनके साथ-साथ रिजर्व फाटेस्ट देखने के लिए हम पहुंचे लेकिन लेट हो जाने के कारण फारेस्ट में जाने की अनुमति नहीं मिल सकी अतः गोविन्दम से विदा लेकर केरल से कर्नाटक की और बढ़ चली यात्रा। केरल के फारेस्ट मार्ग से होते हुए यात्रा सीधे मैसूर पहुंचीं। मैसूर में भी ईद का माहौल था। मैसूर से आगे के सफर के लिए हम आपको अगामी अंक पर ले जाना चाहेंगे, कृप्या प्रतीक्षा करें यात्रा अभी जारी है।