शुभारम्भ
गो ग्रीन गो डिजीटल, भाग-1

एनॉलाग टैक्ॅनालाजी में बदलाव लाने की जरूरत अब से 15 साल पूर्व महसूस की गई थी, क्योंकि पे चैनलों के लगातार बढ़ते जा रहे आर्थिक बोझ को सहन करने की सारी सीमाएँ केबल टी-वी- ऑपरेटर लांघने लगे थे।अपने वश से जब बाहर हो गया तब पे चैनलों के बढ़ते आर्थिक बोझ में केबल टी-वी- ऑपरेटरों को भी सहभागी बनाने का निर्णय केबल टी-वी- ऑपरेटरों को लेना पड़ा था। मात्र 12 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से कुल 360/- रूपय मासिक केबल टी-वी- शुल्क उपभोक्ताओं से लेना जब तय किया गया,तब देश में एन-डी-ए- की सरकार थी एंव श्रीमति सुषमा स्वराज देश की सूचना व प्रसारण मन्त्री हुआ करती थी। केबल टी-वी- उपभोक्ताओं के लिए यकायक 360/-रूपए का भुगतान करना निगला नहीं जा सका, अतः केबल टी-वी– ऑपरेटरों के निर्णय के विरूद्ध उन्होंने चिल्लाना शुरू किया।

उपभोक्ताओं की आवाज भारत सरकार के कानों तक शीघ्र ही पहुंच भी गई, तत्कालीन सूचना व प्रसारण मन्त्री श्रीमति सुषमा स्वराज जी ने तुरन्त केबल टी-वी- ऑपरेटरों के प्रतिनिधियों को मन्त्रलय बुलाया और उन्होंने केबल टी-वी- की दरों में की गई वृद्धि पर पूरी जानकारी ली। सूचना व प्रसारण मन्त्री श्रीमति सुषमा स्वराज जी के समक्ष केबल टी-वी- ऑपरेटरों की राष्ट्रीय सस्ंथा ‘आल इण्डिया आविष्कार डिश एण्टिना संघ’ के अध्यक्ष डॅा-ए-के- रस्तोगी जी ने केबल की दरों में वृद्धि के कारणों को स्पष्ट तरीके से रखा कि पे चैनलों की सख्ंया के साथ-साथ उनके द्वारा की जाने वाली उगाही में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है, जिसे अब और बर्दाश नहीं किया जा सकता है, इसीलिए उपभोक्ताओं को सहभागी बनाने का निर्णय लिया गया था।

जैसे कि भोजन की थाली में नाना प्रकार के व्यंजन परोसे जा रहे थे, लेकिन उनकी कीमत नाम मात्र ही वसूली जा रही थी, जबकि अब कई और व्यंजनो को भी उनकी थाली में परोसा जा रहा था, लेकिन शुल्क वही पुराना वाला लिया जाता रहा, ऐसा अब सम्भव नहीं रह गया है। अतः या तो व्यंजनों की कटौती की जाए या फिर उनसे व्यंजनों का पूरा पैसा लिया जाए। माननीय मन्त्री महोदया जी ने केबल टी-वी- आपरेटरों की समस्याओं को गम्भीरता से समझते हुए इसका समाधान पूछा तब उन्हें बताया गया कि समाधान यह है, कि पूरी थाली परोसने की जरूरत ही नहीं है। उपभोक्ताओं को वही परोसा जाए जिसकी उसे जरूरत हो, अर्थात फ्री टु एयर चैनलों को तो मिनिमन मासिक शुल्क में प्रत्येक केबल टी-वी- उपभोक्ता को उपलब्ध करवाया जाए, लेकिन पे चैनल केवल उन्ही उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाएं जाए जो उनकी मांग करे।


इसके लिए टैक्नॉलाजी उपलब्ध है जिसे कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम (ब्।ै) कहा जाता है, उसे अपने देश में भी लाया जाए तो समस्या का समाधान निकल जाएगा। माननीय मन्त्री महोदया जी ने देश के करोड़ों केबल टी-वी- उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए इस समस्या के समाधान के लिए तुरन्त 12 सदस्यों की टास्क फोर्स का गठन किया। टासक फोर्स में ब्राडकास्टर्स एम-एस-ओ- एंव केबल टी-वी- आपरेटरों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। देश भर के केबल टी-वी- आपरेटरों का प्रतिनिधित्व इस टास्क फोर्स में डॅा-ए-के- रस्तोगी ने किया। कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम पर बनाई गई टास्क फोर्स में बाद में कुछ अन्य सदस्यों के शामिल होते जाने से सख्ंया बढ़ती गई। अनेक मीटिंगो के बाद कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम पर एक कानून का प्रारूप बनकर तैयार था, जिसे संसद में पास करवा लेने के बाद माननीय राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर हो जाने के बाद जारी की गई अधिसूचनानुसार 14 जनवरी 2005 को प्रथम चरण लागू किया जाना तय हुआ। केबल टी-वी- एक्ट 1995 में संशोधन कर 2003 में कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम को लागू करवाए जाने की शुरूआत हुई थी, जिसका ब्राडॅकास्टर अन्दर ही अन्दर पूरा विरोध कर रहे थे। लेकिन ब्राडॅकास्टर्स के अड़ियल रवैये से छुटकारा पाने के लिए देश के प्रमुख एम-एस-ओ- कैस की पूरी तैयारी मे जुटे हुए थे।


कैस कानून एंव टैक्नॉलाजी के बारे में देशभर के केबल टी-वी- आपरेटरों को जागरूक करना आवश्यक हो गया था, अतः केबल टी-वी- ऑपरेटरों की राष्ट्रीय सस्ंथा के अध्यक्ष होने के नाते डॅा-ए-के- रस्तोगी ने देशभर के केबल टी-वी- ऑपरेटरों को कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम कानून एंव टैक्नॉलाजी के प्रति जागरूक करने का दायित्व स्वंय उठाते हुए देशभर के केबल टी-वी- आपरेटरों के पास जाकर उन्हें जानकारी देने के लिए एक चेतना यात्रा करने का निर्णय लिया। कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम को लागू करवाए जाने में अड़ंगे लगाए जाने लगे थे। भिन्न समाचार चैनलों पर डैस को लेकर उपभोक्ताओं को भ्रमित किए जाने का काम ब्रॉडकास्टर कर रहे थे, जबकि देश में आम चुनाव भी होने वाले थे, फिर भी बामुश्कित जब तत्कालीन सूचना व प्रसारण मन्त्री श्रीमति सुषमा स्वराज जी ने माननीय संसद के दोनो सदनों में कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम पर बनाया गया कानून पास करवा लिया तब श्रीमति सुषमा स्वराज को सूचना व प्रसारण मन्त्री पद से हटना भी पड़ा था। सुषमा जी के स्थान पर श्री रविशंकर प्रसाद जी को सूचना व प्रसारण मन्त्रलय का दायित्व सौपा गया था, लेकिन बहुत कोशिशों के बावजूद भी कैस कानून को लागू नहीं करवाया जा सका था। कैस को लेकर आपरेटरो में भी भ्रम की स्थिती थी, आखिरकार आम चुनाव में एन-डी-ए- को हार का मुंह देखना पड़ा और फिर से यू-पी-ए- की सरकार आ जाने से कैस ठण्डे बस्ते में चला गया था। एम-एस-ओ- ने कैस लागू करवाए जाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण ली थी।

कैस के प्रति केबल टी-वी- ऑपरेटरों को जागरूक करना बहुत जरूरी हो गया था, अतः सन् 2005 में ‘चेतना यात्रा’ की शुरूआत हुई थी। देशभर के केबल टी-वी- ऑपरेटरों को कैस की सही जानकारी देने के लिए आरम्भ हुई ‘चेतना यात्रा’ का सिलसिला अभी भी जारी है, क्योंकि वहां से हुई शुरूआत की दिशा ही बदल गई थी। एन-डी-ए- सरकार द्वारा जिस कारण से कण्डीश्नल एक्सेस सिस्टम कानून बनाया गया था, उसका साफ-साफ मतलब था कि जिसे पे चैनल चाहिए सिर्फ उन्हीं उपभोक्ताओं को पे चैनल परोसे जाएँ, सभी उपभोक्ताओं को जबर्दस्ती पे चैनल परोसने की कोई आवश्यक्ता नहीं है। उन्हें फ्री टु एयर चैनल बहुत ही कम कीमत में उपलब्ध करवाए जाए। सभी एम-एस-ओ- इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे एंव उन्होंने कैस अपनाने के लिए बहुत बड़ा इन्वेष्टमैंट कर दिया था, जबकि विदेशी पे चैनल ब्रॉडकास्टर्स किसी भी तरह से भारतीय कानून के अर्न्तगत नहीं आना चाहते थे, वह स्वंय को भारतीय कानूनों से मुक्त रखते हुए अपनी धांधली चलाए रखना चाहते थे। अतः उन्हें श्रीमति सुषमा स्वराज जी द्वारा बनाया गया कैस कानून बिल्कुल भी गले नहीं उतर रहा था।

एन-डी-ए- सरकार चले जाने के बाद तो जैसे उनकी लाटरी ही लग गई थी। एक प्रकार से एन-डी-ए- सरकार को हटाने में उनकी भी काफी कोशिशें रही थी। भारत में भारत के हितों की रक्षा के लिए भी भारत सरकार अपने कानून नहीं बना सकी और बना भी ले तो उसे लागू नहीं करवा सकी, यह मकसद अब देशभर के केबल टी-वी- ऑपरेटरों को अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पित भावना पैदा करना हो गया था। कैस पर टनो धूल पड़ चुकी थी, लेकिन मामला क्योंकि अदालत में चल रहा था अतः यू-पी-ए- सरकार ने कैस की जगह डैस कानून बना दिया। इसी बीच सन् 2004 में डी-टी-एच- की भी शुरूआत हो चुकी थी एंव दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रहे कैस के मामले में यू-पी-ए- सरकार को कैस का प्रथम चरण लागू करवाए जाने के लिए बाध्य होना पड़ा। 1 जनवरी 2007 का कैस का प्रथम चरण भी लागू हो गया, क्योंकि एम-एस-ओ- पहले से ही इसकी तैयारी में थे।
इसका लाभ डी-टी-एच- ने भी पूरा बटोरा। मामला यहां से और आगे बढ़ता हुआ डिजीटल एड्रेसिबल सिस्टम (क्।ै) पर पहुंच गया। 2005 से आरम्भ हुई ‘चेतना यात्रा’ लगातार देश के कौने-कौने में विध्मान केबल टी-वी- ऑपरेटरों को जगाने व जोड़ने का प्रयास करती आ रही है। देश के हालातों में अब केबल टी-वी- ऑपरेटरों की भी एक अलग भूमिका तय हो चुकी थी, जिसे वह बाखूबी निभाने लगे।


सिर्फ चैनल परोसने तक ही वह सीमित नहीं रहे, बल्कि समाज के लिए भी वह बहुत कुछ करने लगे। ‘चेतना यात्रा’ के अर्न्तगत उन्हें ‘ग्लोबल वार्मिग’ के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के कार्य में लगाया गया। उनके द्वारा वृक्षा रोपण का विशेष अभियान चलाया गया। इस प्रकार उन्हें उनके उपभोक्ताओं के और निकट लाकर राष्ट्रीयहित में उनके दायित्व को अन्जाम दिया गया। लम्बे समय तक जहां बिल्कुल उम्मीदें ही खत्म हो चुकी थी, वहीं से आशाओं की किरणें भी केबल टी-वी- ऑपरेटरों के प्रयासों से दिखने लगी थी। बारहाल! यू-पी-ए- सरकार ने भारतीय मीडिया पर पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए डिजीटल एड्रेसिबल सिस्टम (क्।ै) का कानून बनाया और इस कानून में देशभर के केबल टी-वी- ऑपरेटरों के हितों का कोई स्थान नही रखा गया। केवल डीटीएच ऑपरेटरों ब्रॉडकास्टर्स एंव एम-एस-ओ- के ही हितो की रक्षा के लिए डैस कानून बनाया गया, जिसे लागू करवाने में उन सबके साथ मिलकर सरकार ने भी बहुत तत्पश्चता दिखलाई।


डैस का प्रथम चरण पूर्ण नहीं हो सका, लेकिन सरकार इसके द्वितीय चरण को लागू करवाने पर पहुंच गई, जो कि अब सितम्बर के बाद तृतीय एवं दिसम्बर 2014 तक पूरे भारत में लागू हो जाना था। फिर से देश में आम चुनाव हुए है, फिर एन-डी-ए- सरकार का राज आया है, अतः यू-पी-ए- की सरकार द्वारा धकेले जा रहे डैस कानून पर थोड़ा ब्रेक सा लगा है। अब 2014 में नहीं बल्कि इसकी अन्तिम समय सीमा फिलहाल 2016 में की गई है जबकि तृतीय चरण के लिए 2015 कहा गया है। केबल टी-वी- ऑपरेटरों ने बहुत बड़ी राहत की सांस ली है, लेकिन एम-एस-ओ- की सांसे बीच में अटक गई है। जबकि वही ब्रॉडकास्टर बीच में लटक गए है और विदेशी कम्पनियां जो घात लगाए बैठी थी, उन्हें सांप सूंघ गया प्रतीत होता है।


यात्रा अभी भी जारी है, जबकि केबल टी-वी- ऑपरेटर फिर से सवालों की गठरी लिए देशभर में चेतना यात्रा की बाट जोह रहे है। लगातार की जा रही ‘चेतना यात्रा’ का यह दसवां वर्ष है। इसकी शुरूआत पूर्व में की गई यात्राओं से कई मामलों में अलग हटकर हुई है। इतने सालों से लगातार की जा रही ‘चेतना यात्रा’ में पहली बार ऐसा हुआ है कि स्वंय सूचना व प्रसारण मन्त्री श्री प्रकाश जावडेकर जी ने फ्रलैगाफ कर यात्रा की रवानगी की। माननीय मन्त्री महोदय जी ने यात्रा के साथ अपना विशेष सन्देश भी विडियो रिकार्डिंग करवा कर दिया है, मन्त्री जी का सन्देश सुन कर वाकई ऑपरेटरों में सकारात्मक उर्जा का संचार होते हम महसूस कर रहे है। पूरी तरह से निराशा के अंधेरे में डूब चुके केबल टी-वी- ऑपरेटरों में एक नया उत्साह व जोश देखा जा रहा है।
ऑपरेटर भी अपना संदेश अब मन्त्री जी तक पहुंचाने की मांग करने लगे है, अतः उनके द्वारा लिखे गए सन्देशो को भी हम माननीय मन्त्री जी को पहुँचाने का प्रयास करेंगे।

इतिफाक कहें या फिर प्राकृति की नीयति कि सूचना प्रसारण मन्त्री श्री प्रकाश जावडे़कर जी ही पर्यावरण वन एंव ससंदीय कार्यमन्त्री का दायित्व भी सम्भाल रहे है। जबकि चेतना यात्रा 10 ‘गो ग्रीन,गो डिजीटल’ के अर्न्तगत की जा रही है। माननीय मन्त्री जी ने डिजीटल इण्डिया के साथ-साथ पर्यावरण बचाने के लिए भी अपने सन्देश में सबको योगदान देने के लिए आहवाहन किया है। देशभर में इस तरह से एक बहुत अच्छा संदेश पहुँचाने का इस चेतना यात्रा को अवसर मिला है। सभी जगह बड़ी गम्भीरता के साथ माननीय मन्त्री श्री प्रकाश जावड़ेकर जी का संदेश सुना जा रहा है।

साथ ही देशभर के दूरदर्शन केन्द्रों को भी इस ‘चेतना यात्रा’ में सहभागी बनने के लिए दिए गए निर्देश के कारण जिन क्षेत्रें से भी यात्रा गुजर रही है उसके आस-पास के क्षेत्रें से भी दूरदर्शन अधिकारी यात्रा में मिल रहे है। दूरदर्शन अधिकारियों के साथ केबल टी-वी- ऑपरेटरों की बैठक के परिणाम आश्चर्यजनक सफलता की ओर बढ़ रहे है। दोनो के बीच बहुत ही बेहतर सामंजस्य स्थापित हो रहा है, जिसकी जरूरत बीते 20-25 सालों से थी, लेकिन कहीं से भी इसकी शुरूआत नहीं हो सकी थी सिवाए शिकायतों के। केबल टी-वी- ऑपरेटरों में भी मन्त्री जी का सन्देश सुनकर उत्साह पैदा हो रहा है कि आखिर कोई तो है जो उनके भविष्य के बारे में भी सोच रहा है।


ऑपरेटर अपनी बात भी माननीय मन्त्री जी को पहुँचाने का आग्रह करने लगे तब हमने बाकायदा उनसे अपना पक्ष मन्त्री जी के सम्मुख रखने के लिए लिखने का निमन्त्रण दिया। इसी के साथ-साथ देश के प्रधानमन्त्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के ड्रीम प्रोजक्ट डिजीटल इण्डिया में देश भर के केबल टी-वी- ऑपरेटरों की भागीदारी के लिए ऑपरेटर बहुत उत्साहित दिखाई दे रहे है, अतः ऑपरेटरों को अपने नैटवर्क को ब्राडबैण्ड हेतु अपग्रेड किए जाने की जरूरत भी स
दिए गए अपने सन्देश में पर्यावरण पर बहुत स्पष्ट कहा गया है, उन्होंने सबसे वृक्ष लगाने की अपील भी की है।
इसी सन्दर्भ में आगे बढ़ते हुए इस यात्रा में पृथ्वी दिवस (28 मार्च -2015) के अवसर पर सभी से ऊर्जा बचाओ के अर्न्तगत एक घण्टे के लिए बिजली को उपयोग ना करने के लिए शपथ भी दिलाई जा रही है।


दूरर्शन अधिकारी हो या फिर केबल टी-वी- ऑपरेटर एम-एस-ओ- सभी से 28 मार्च 2015 को पृथ्वी दिवस के अवसर पर एक घण्टे के लिए पूरी तरह से बिजली से चलने वाले सभी उपकरण टी-वी-, फ्रिज, एयर कण्डीशन, स्टुडियो आदि बन्द रखने के साथ-साथ उनसे जुड़े समस्त लोगो से भी (केबल टी-वी- उपभोक्ताओं) उर्जा बचाओं योजना में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करेगे। इस तरह से बहुउद्देश्यों को साथ लेकर की जाने वाली चेतना यात्रा 10 निरन्तर अपने मार्ग पर आगे बढ़ती जा रही है।