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भारत में केबल टीवी व्यवसाय आरम्भ हुए अभी बहुत लम्बा समय नहीं हुआ है, मात्र 22 साल ही हुए हैं अभी इस व्यवसाय को, जिसकी चकाचौंध आज पूरे विश्वभर के धनकुबेरों को ललचा रही है। भारतीय उद्योग घरानों ने तो इसकी शुरूआत में ही चमक देख ली थी। इसमे घुसने का प्रयास तो उनमें से कई ने किया, लेकिन सब टिके नहीं रह सके, लेकिन जो टिक भी गए उनके कन्धें का सहारा लेकर विदेशी धनकुबेर यहां अपने पावं जमाने के रास्ते तलाशते रहते हैं। हालांकि रिलायन्स का केबल टीवी मे आने की चर्चाएं लम्बे समय से चल रही हैं, जबकि सहारा ग्रुप ने अभी-अभी डीजी के कन्धों का सहारा लेकर ग्राऊण्ड में उतरने की घोषणा की है। आखिर ऐसा क्या है इस व्यवसाय में जो पैसे वालों को ललचाता है?

इस सवाल का जवाब गर देशभर के केबल टीवी ऑपरेटरों की समझ में आ गया तब वह भी अपने-अपने क्षेत्र के बादशाह बन जाएंगे, लेकिन उनके अतिरिक्त उनके व्यवसाय को दुनियाभर के लोग समझ चुके हैं, नहीं समझ पा रहे हैं तो, वह केबल टीवी ऑपरेटर ही हैं। कस्तूरी मृग के समान है भारत के केबल टीवी ऑपरेटरों की स्थिति, क्योंकि जो उनके पास है, जिसकी सुगन्ध दुनियाभर को आकर्षित कर उनकी ओर ले आती है उसका आभास उन्हीं का ही नहीं है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि सबके जोर लगा लेने के बावजूद भी उनसे उनकी कस्तूरी नहीं छीनी जा सकी है, वह 22 साल बाद आज भी उन्हीं के पास है।
इसलिए अब कानून में बदलाव हुए हैं, और नए फ्केबल टीवी एक्ट-2011य् के अर्न्तगत उन ऑपरेटरों को समेटकर रख दिया गया है। नए कानून के अर्न्तगत ऑपरेटरों से उनकी कस्तूरी का नियन्त्रण पूरी तरह से हैडेण्ड ऑनर के पास चला जाएगा एवं वह हैडेण्ड भविष्य में किसके नियन्त्रण में चला जाए इसका पता तभी चल जाएगा जब वह जा चूका होगा।

ऐसी अद्भूत प्रतिभा के धनी हैं देशभर के केबल टीवी ऑपरेटर, क्योेंकि उन्होंने इस व्यवसाय को स्वयं की सूझ-बूझ से ही इस मुकाम तक पहुंचाया है, जबकि 22 वर्षों बाद भी हमारे देश में केबल टीवी पर कोई शिक्षण संस्थान नहीं है।एक चैनल से आरम्भ होकर आज 100 से भी अधिक चैनलों को देश के करोड़ों टेलीविजनों तक पहुंचाने वाले केबल टीवी ऑपरेटरों की क्षमता अपार है, जिसे स्वयं वह भी नहीं समझ पाए। उन्होंने ना जाने कितनी बार अपना नैटवर्क अपग्रेड किया और कितनी बार कन्ट्रोल रूम, इसका कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है, लेकिन शुरूआत एक ही वी-सी-आर- वाले चैनल से उन्होंने की थी। तब वह भी बड़ी चुनौती हुआ करती थी कि एक वी-सी-आर- से फिल्म का प्रसारण कर एक टीवी से अनेक टीवी तक कैसे पहुंचाया जाए। वी-सी-आर- के बाद शुरू हुआ सैटेलाइट चैनलों का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि कहीं थमा ही नहीं और ना ही थमा केबल टीवी ऑपरेटर। वह भी साथ-साथ ही बढ़ता गया और उन ऊंचाइयों पर पहुंच गया जहां की चकाचौंध सारी दुनिया के धनकुबेरों को आकर्षित कर रही है। उसी का परिणाम है कि फ्केबल टीवी एक्ट-2011य् आ गया है।


संशोधित कानून के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार 31 दिसम्बर 2014 तक सारे देश में एनालॉग टेैक्नालॉजी पूर्णतया प्रतिबन्धित हो जाएगी। अर्थात पूरा देश डिजिटल एड्रोसिबल सिस्टम (डैस) पर चला जाएगा। डैस और कैस में बहुत बड़ा अन्तर है देशभर के केबल टीवी ऑपरेटरों को यह बात बड़ी गम्भीरता के साथ समझनी होगी। यह बात अलग है कि प्रमुख शहरों सहित उनके निकटवर्ती अनेक कस्बों को भी भिन्न एम-एस-ओ- ने अपनी पहुंच में ले रखा है, वहां वह अपनी डिजिटल फीड भी पहुंचा देंगे, लेकिन अभी भी देशभर में ऐसे अनेक शहर-कस्बे व गांव हैं जहां कोई भी एम-एस-ओ- नहीं जाना चाहता है। ऐसे क्षेत्रें को निगल जाने के लिए डीटीएच ऑपरेटर फड़फड़ा रहे हैं।

डिजिटल टैक्नालॉजी समय की आवश्यकता है अतः केबल टीवी ऑपरेटरों को टैक्नालॉजी भयभीत नहीं होना चाहिए बल्कि उत्साह के साथ स्वागत करना चाहिए। किसी भी परिवर्तन में तमाम अगर-मगर, किन्तु-परन्तु स्वाभाविक हैं, केबल में कोई नई बात नहीं है। केबल टीवी ऑपरेटरों को भी अब डिजिटलाईजेशन के क ख ग को पूरी तरह से समझ लेना ही बेहतर रहेगा, इसलिए फ्चेतना यात्रा-8य् का निर्णय लिया गया है अन्यथा इससे पहले की जा चुकी लगातार सात यात्राएँ पर्याप्त थीं। संशोधित केबल टीवी एक्ट-2011 के बारे में देशभर के केबल टीवी ऑपरेटरों को जानकांरी देने के साथ-साथ डिजिटलाईजेशन के लिए तकनीकी मार्गदर्शन भी बहुत आवश्यक है। केबल टीवी ऑपरेटरों के विश्वास को जीवित रखना बहुत जरूरी है क्योंकि एनालॉग से डिजिटल में वह स्वयं को सुरक्षित नहीं समझता है। इन्सिक्योरिटी के कारण ही वह डिजिटल टैक्नालॉजी का अपनाने में संकोच कर रहा है, अतः नई टैैक्नालॉजी में उसका भविष्य किस प्रकार से सुरक्षित रह पाएगा, यह उसे समझना होगा, तभी वह डिजिटल के लिए सहयोग दे सकेगा।

एनालॉग से डिजिटल टैक्नालॉजी जैसे अब समय की आवश्यकता है, ठीक उसी तरह से समस्त केबल टीवी ऑपरेटरों को भी एक-दूसरे के साथ जुड़ने की अति आवश्यकता है। 7 सितम्बर को दिल्ली से आरम्भ होकर 20 प्रदेशों 5 यूनियन टेैरिटरंी में 450 से भी अधिक शहरों में होकर 60 दिनों बाद 30000 किलोमीटर का सफर पूर्ण कर 5 नवम्बर को दिल्ली वापिस पहुंचेगी यात्रा।

फ्चेतना यात्रा-8य् के अर्न्तगत सर्वप्रथम तो देशभर के केबल टीवी ऑपरेटरों को डैस के प्रति भयमुक्त करना होगा। एनालॉग से डिजिटल में जाने के बाद ऑपरेटरों को क्या-क्या लाभ हो सकते हैं यह भी उन्हें विस्तार से बताना होगा। डैस भी कोई हव्वा नही है, यह बात जब उनकी समझ में आ जाएगी, तब वह कोओजरेटिव स्टाईल में भी डैस की दिशा में बढ़ सकते हेैं, लेकिन फिलहाल डैस को लेकर खासा हो-हल्ला है क्योंकि अभी इसकी शुरूआत ही नहीं हो पाई है। पूर्व घोषणा के अनुसार एक जुलाई 2012 से देश के चारो महानगरों दिल्ली-मुम्बई, कोलकाता व चैन्नई में डैस का प्रथम चरण लागू हो जाना था, लेकिन सरकार को 4 महीने आगे बढ़ानी पड़ी अपनी तय तारीख। अब 1 नवम्बर 2012 की प्रतीक्षा सारा देश कर रहा है क्योंकि डैस के प्रथम चरण को लागू किए जाने की यही तारीख घोषित की है सरकार ने।

एक बार प्रथम चरण की शुरूआत हो जाए, तब इसकी सारी अगर-मगर, किन्तु-परन्तु भी सामने आ जाएगी, लेकिन जब तक इम्प्लीमेंट नहीं होगा तब तक डैस की तस्वीर पर से धुंध नहीं हट सकेगी। अभी भी समय तो बड़ी तेजी के साथ 1 नवम्बर की ओर बढ़ता जा रहा है, लेकिन डैस के प्रति वह विश्वास नहीं बन पा रहा है कि वास्तव में 1 नवम्बर से इसकी शुरूआत भी हो पाएगी या नहीं, क्योंकि के कारण अनेक हैं।


देशभर में केबल टीवी ऑपरेटरों को संशोधित केबल टीवी एक्ट-2011 को लेकर भ्रम की स्थिति है, क्योंकि उनका अपने कार्य क्षेत्रें से निकल पाना बहुत ही कम हुआ करता है एवं वैसे भी कहीं कोई ऐसा केन्द्र नहीं है जहां से वह सारी सूचनाएँ प्राप्त कर सकें। उन तक सीधे-सीधे अब सूचनाएँ पहुंच भी नहीं पाती हैं क्योंकि वह किसी ना किसी हैडेण्ड ऑनर की फीड लेकर अपने उपभोक्ताओं तक पहुंचा रहे हैं। हैडेण्ड ऑनर तक तो सूचनाएँ पहुंचाई जा सकती है, क्योंकि उनका रिकार्ड ब्रॉडकास्टर्स के पास दर्ज है, लेंकिन हैडेण्ड ऑनर से फीड लेकर उपभोक्ताओं को पहुंचाने वाले लास्टमाइल केबल टीवी ऑपरेटरों को तलाश पाना बहुत कठिन काम है।

उन तक पहुंचने के लिए ही प्रत्येक वर्ष चेतना यात्रा की जाती है, लेकिन फिर भी उनके साथ जुड़े रह पाना सरल नहीं है। अधिकांश ऐसे ऑपरेटर किसी ना किसी रूप में कोई ओर व्यवसाय भी कर रहे हैं और केबल टीवी को उन्होंने साइड जोब की भांति अपना रखा है। ऐसे ऑपरेटरों को अब यह समझाना होगा कि जिसे उन्होंने साईड जोब बना दिया है वह अब बहुत बड़ी इण्डस्ट्री बनने जा रही है अतः अब उस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल, देखा जाए तो एक बार फिर से शुरूआत ही की जा रही है एक नई इण्डस्ट्री की, क्योंकि जिस तरह से 8 चैनलों से 16 चैनल किए गए थे, 16 से 32 और 32 से 64 चैनल करते हुए एनालॉग टैक्नालॉजी में 106 चैनलों तक पहुंचे हैं ऑपरेटर, वैसे ही अब एनालॉग से आगे बढ़ते हुए डिजिटल पर जाना समय की आवश्यकता बन गया है।


जैसे कि एनालॉग में कन्ट्रोल रूम को अपग्रेड करने के साथ-साथ फील्ड में भी तमाम एम्प्लीफायर आदि भी बदलने पड़े थे, वैसे ही अब डिजिटल में जाने के लिए कन्ट्रोल रूम भी पूरी तरह से नए लगाने होंगे, नई तकनीक ंके साथ। एनालॉग के अर्न्तगत बीते 22 साल में अंधेर नगरी चौपट राजा की भांति ही जिसकी लाठी उसकी भेैंस की तर्ज पर चलती चली आई केबल टीवी इण्डस्ट्री। ब्रॉडकास्टर्स एम-एस-ओ- और सरकार सभी ऑपरेटरों को चोर ठहराते रहे, जबकि चोरी उसने एक पैसे की भी नहीं की। अंग्रे्रजो को गए तो 65 साल हो गए हैं, लेकिन केबल टीवी में मात्र 22 वर्षों पूर्व इन्होंने कदम धरे। फूट डालो और शासन करों का फार्मूला अपनाते हुए इन्होंने ऑपरेटरों को इतना साईड कर दिया कि उसकी फीड ही किसी ना किसी कन्ट्रोल रूम की मोहताज हो गई, परन्तु दोष सारा उसी के सिर, जिसने आंधी-बरसात, धुप-सर्दी की परवाह किए बगैर इन्हें देश के करोड़ों दर्शकों तक पहुंचाया।

ऐसे केबल टीवी ऑपरेटरों को उनका स्वाभिमान-मान- सम्मान अवश्य जिंदा रखना होगा, तभी वह नई टैक्नालॉजी में स्वयं को सुरक्षित स्थापित कर पाएंगे, अन्यथा उनके लिए कानूनी शिकन्जा भी अब तैयार हो चुुका है। चेतना यात्रा-8 का प्रयोजन सीधा साफ और बिल्कुल स्पष्ट है कि ऑपरेटर भले ही किसी भी शहर-कस्बे या गांव में हो, वह अपना कन्ट्रोल रूम चलाते हों या फिर किसी की भी फीड दर्शकों तक पहुंचाते हो, वह सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं। उन्हें आपस में एक-दूसरे से जुड़ना चाहिए। अकेले-अकेेले वह छिन्न-भिन्न होकर धीरे-धीरे लुप्त भी हो सकते हैं, लेकिन उन समस्त कडि़यों को आपस में जोड़ दिए जाने से वह स्वयं एक महाशक्ति बन जाएंगे, तब ना तो कोई उनका शोषण ही कर पाएगा व ना ही उनके लुप्त होने की सम्भावनाएँ बाकी रहेंगी। एनालॉग से डिजिटल टैक्नालॉजी जैसे अब समय की आवश्यकता है, ठीक उसी तरह से समस्त केबल टीवी ऑपरेटरों को भी एक-दूसरे के साथ जुड़ने की अति आवश्यकता है।


देश के प्रत्येक केबल टीवी ऑपरेटर को आपस में जोड़ने ओैर उन्हें डेैस के प्रति जागरूक करते हुए उनकी शक्ति का जनहित में योगदान करने के लिए प्रेरित करने हेतु चेतना यात्रा-8 की शुरूआत की जा रही हैै। 7 सितम्बर को दिल्ली से आरम्भ होकर 20 प्रदेशों 5 यूनियन टेैरिटरी में 450 से भी अधिक शहरों में होकर 60 दिनों बाद 30000 किलोमीटर का सफर पूर्ण कर 5 नवम्बर को दिल्ली वापिस पहुंचेगी यात्रा।