यात्रा के प्रथम भाग को रामगढ़ के किले तक ही ले जा सके थे, लेकिन यह किला सामान्य से थोड़ा हटकर इसलिए भी हो गया है, क्योंकि किले की आन-बान व शान को बनाए रखने के लिए उनके वंशज ही अभी भी वहीं मौजूद हैं। उन्हीं की जायदाद है और वही उसकी पूरी देखरेख भी करते हैं। मध्यप्रदेश में स्थित खजुराहो से शुरू होती है रामगढ़ के किले की कहानी जिसे चन्देलों ने बनाया व बसाया था, ऐसा कहना है उनके वंशज अमिताभ चन्देल का। खजुराहो से चन्देलों का एक परिवार हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में आकर बसा था, उनका ही एक भाई बिलासपुर से सन् 1640 में रामगढ़ आया था, जिन्होंने यहां रहने के लिए यह किला बनवाया था। उस समय के हालातों में अपनी सुरक्षा को देखते हुए समर्थ-सक्षम घराने इसी तरह से अपनी रिहाईशें बनवाया करते थे।

अपने ही सुरक्षा सैनिक और ट्रांसपोर्ट के लिए हाथी, घोड़े और ऊंटों को रखने का प्रचलन था। उनकी 14वीं पीढ़ी अमिताभ चन्देल एवं अमिताभ के पिताजी अर्थात् चन्देल वंश की 13वीं पीढ़ी कुंअर मोहन सिंह जी से हुई बातचीत में कई ऐतिहासिक जानकारियां प्राप्त हुई। पिछले दस वर्षों से रामगढ़ के इस किले को एक हैरिटेज होटल का रूप दे दिया गया है। पूर्व में किले का यह भाग जनानखाना कहलाता था। इसकी दीवारें 18 फुटी हैं, जबकि आज के मकानों में 4 इंची दीवारों की भी चिनाई की जाती है। इस किले का प्रवेशद्वार 37 फुट ऊंचा है। अमिताभ चन्देल का दावा है कि भारत में इतनी ऊंचाई वाला यही एक मात्र प्रवेश द्वार है, ऐसा लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर््स में भी दर्ज है।

खुशमिजाज-मिलनसार स्वभाव के अमिताभ चन्देल जो कि पूर्वजों की यह धरोहर सम्भाल रहे हैं, उनसे बातकर कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि चन्देल वंश की 14वीं पीढ़ी से बात की जा रही है। कहीं से भी कोई घमण्ड उनमें दिखाई नहीं दिया, बिल्कुल आम आदमी की ही तरह उन्होंने बातों का जवाब दिया। एम-कॉम-, एल-एल-बी- अमिताभ से जब उनकी पढ़ाई के लिए पूछा गया तो बड़ी सादगी से उनका जवाब था, कि पढ़ाई – – – एम-कॉम-, एल-एल-बी- लेकिन पता नहीं क्यों की। पढ़ने का मतलब अभी भी तलाश रहे हैं वो। अमिताभ! अपना नाम बताते हुए वह स्पष्ट कर देते हैं कि बच्चन नहीं, बल्कि अमिताभ चन्देल। रामगढ़! लेकिन शोले वाला नहीं, हां उससे काफी कुछ इस रामगढ़ में भी मिलता है। यहां भी शोले के ब्लाइन्ड मौलवी (ए-के- हंगल) जैसे एक ब्लाइन्ड मौलवी हैं।

रामगढ़ की सबसे खास बात जो उन्होंने बताई वह यह है कि यहां जो रामलीला कमेटी है उसका अध्यक्ष एक मुस्लिम है।पुरानी कारों के शौकीन अमिताभ के पास रोल्स रॉयल भी है। वह टेनिस खिलाड़ी हैं और हर छह महीने बाद टूर्नामेंट भी करवाते हैं। मीठा और घी उन्होंने बिल्कुल त्याग रखा है, लेकिन गान्धी जी ने नमक भी त्याग रखा था, जो अभी वह नहीं कर सके हैं। उनकी इच्छा 120 वर्ष जीने की है, इसीलिए अपनी शारीरिक क्षमता की परीक्षा भी वह लेते रहते हैं। उन्होंने किले में एक रस्सी बांध रखी है, जिसे पर चढ़कर कोई घण्टी बजाएगा तब उसके लिए पांच दिन किले में रहना-खाना फ्री होता है। इस तरह की अनेक बातें रामगढ़ के किले में खाने की मेज पर चन्देलों के वारिस अमिताभ चन्देल से कर यात्र अगले पड़ाव की ओर बढ़ चली।