(शुभारम्भ 7th सितम्बर-2012)चेतना यात्रा दिल्ली से चण्डीगढ़ तक
प्रकृति का अद्भूत प्रसाद है भारत। मेरा जन्म यहां हुआ यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है, मैं बार-बार भारत का भ्रमण करता हूँ, लेकिन पुनः भारत माता के विशाल आंगन मुझे आकर्षित करता है और मैं फिर इस आंगन में विचरण के लिए निकल जाता हूँ। इसके आंगन की विविधताएँ मन मोहक हैं, त्यौहारों का तौर तरीका, रस्म-ओ-रिवाज, खुशियां मनाने के अलग-अलग अंदाज सब आकर्षित करते हैं, लेकिन बार-बार देश के भ्रमण पर जाना सम्भव नहीं हो पाता है, जबकि मैं 2005 से निरन्तर सितम्बर-अक्टूबर में देशांटन पर होता हूँ, नाम दिया है ‘चेतना यात्रा’। चेतना आखिर किसके लिए–\ यह मेरा सौभाग्य है कि भारत में जब केबल टीवी के अंकुर फूटने शुरू हुए थे, तब मैं भी उनमें शामिल था जिन्होंने केबल टीवी की यहां नींव रखी थी।
इस बात को हम आज भी बड़े गर्व के साथ अपने परिचय में कहते हैं कि भारतीय ब्रॉडकास्टिंग एण्ड केबल टीवी इण्डस्ट्री के नींव के पत्थरों में हम भी शामिल हैं। हमारे जैसे ही देशभर में हजारों हैं, जिन्हें एक बड़ा परिवार कहा जा सकता है। इलैक्ट्रानिक मीडिया के अंश के रूप में देश के कौने-कौने में विद्यमान इस परिवार का प्रत्येक सदस्य हमें बार-बार बुलाता है और हम किसी अदृश्य शक्ति में बंधकर जैसे खिंचे हुए वहां चले जाते है, हर वर्ष। आठवीं चेतना यात्रा 7 सितम्बर को देश की राजधानी दिल्ली से आरम्भ हुई। माननीय मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित जी ने हरी झण्डी दिखलाकर इस यात्रा को अपना आर्शीवाद देते हुए रवाना किया। क्वीन मेरी स्कूल (मॉडल टाऊन) दिल्ली की छात्रओं ने मुख्यमन्त्री निवास पर पहुंचकर यात्रा के गो ग्रीन मिशन को प्रोत्साहित करने के लिए दिल्ली के छात्र-छात्रओं का प्रतिनिधित्व किया।
परिवार के सदस्यों सहित गो ग्रीन-गो डिजिटल के संदेश के साथ चेतना यात्रा-8 को विदाई देने के लिए मीडिया इण्डस्ट्री के कुछ प्रमुख शेखर (एबीपी न्यूज), सुभाष ग्रोवर (जी ग्रुप), महिपाल सिंह (टाइम्स ग्रुप), डी- सिंह(आज तक) सहित अनेक ऑपरेटर भी फ्रलेग ऑफ सेरमनी में शामिल हुए। माननीय मुख्यमन्त्री जी की शुभकामनाओं सहित सबसे विदाई लेते हुए एक बार फिर से चेतना यात्रा आरम्भ हो गई। इस यात्रा में तकरीबन 30000 किलोमीटर का सफर 60 दिनों में तय किया जाएगा। देश के 20 राज्यों एवं 5 यूनियन टैरिटरी के भ्रमण में 450 शहरों से गुजरेगी यह यात्रा। हर रोज एक नया शहर और रोजाना नए लोगों से मिलने का अवसर यात्रा में मिलता है, लेकिन इण्डस्ट्री में सलंग्न सदस्यों के साथ सभी शहरों कस्बों व गाँवों में होने वाली भेंट-वार्ताओं में एक चीज सभी जगह एक समान होती है ‘अपनापन’ं। देश के किसी भी हिस्से में विद्यमान मेरे लिए ऐसा अपनत्व लिए बैठा हर सख्स मेरे परिवार का ही सदस्य प्रतीत होता है। इस अपनत्व में धर्म-जाति, अमीर-गरीबी अथवा क्षेत्रीय भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। उत्तर में भी वैसा ही अपनत्व मिलता है जैसा दक्षिण में मिलता है और पूर्व की भांति पश्चिम में, फिर यात्रा का सिलसिला क्यों रोक दिया जाए।
सातवीं के बाद आठवीं यात्रा इसलिए भी आवश्यक थी कि केबल टीवी में नए बदलाव आने हैं, क्योंकि वर्तमान में प्रचलित ‘केबल टीवी एक्ट-1995’ को संशोधित कर अब ‘केबल टीवी एक्ट-2011’ लाया गया है। संशोधित कानून के अर्न्तगत 22 वर्षाे से प्रचलित एनालॉग टैक्नालॉजी को अब पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित कर दिया जाएगा एवं एनालॉग के स्थान पर समूची इण्डस्ट्री को डिजिटल पर ले जाया जाएगा। डिजिटल पर जाने के लिए देशभर के केबल टीवी ऑपरेटरों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। इसलिए इस यात्रा को ‘गो ग्रीन-गो डिजिटल’ का टाइटल भी दिया गया है। डिजिटल एड्रेसिबल सिस्टम पर जाने के कारण केबल टीवी एक बार फिर से जीरो से ही शुरू होगी अतः ऐसे बड़े परिवर्तन में देश का कोई केबल टीवी ऑपरेटर छूट ना जाए, इसके लिए चेतना अतिआवश्यक है। भावी सम्भावनाओं में समूची केबल टीवी कम्यूनिटी के लिए अवसरों के ढ़ेर लगे हुए हैं, जिनके प्रति ऑपरेटरों को जागरूक करने की अब अतिरिक्त आवश्यकता है, अतः चेतना यात्रा-8 के अर्न्तगत देश के अधिक से अधिक ऑपरेटरों के साथ डैस पर बात की जाएगी, लेकिन इसके लिए सूचना व प्रसारण यह मार्ग मसूरी पहुंचाता है, लेकिन जब इस क्षेत्र में बर्फ पड़ जाती है तब चम्बा-मसूरी मार्ग बन्द हो जाता है।
यह क्षेत्र आक्सीजन से भरपूर है और प्राकृति का खूबसूरत नजारा तो है ही। मसूरी की वादियाें में इस रूट पर पहली बार एंट्री की थी, अतः इस रूट पर मसूरी की एंट्री पर इतनी गंदगी के ढ़ेर मिलेंगे नहीं मालूम था, लेकिन यही सच्चाई है। जैसे सारी मसूरी की गंदगी इसी मार्ग पर सजा दी गई हो। मसूरी पहुंचने पर वहां के बाजारों में पूर्ण सन्नाटा दिखाई दिया। पूर्णतः बाजार बंद। हरेक दुकान बंद देखकर पहले तो लगा जैसे शायद यह लंच टाइम हो और सभी दुकानदारों ने लंच टाइम पर एक साथ पूरा बाजार बंद रखने का तय कर लिया हो, परन्तु ऐसा हो पाना सरल नहीं होता अतः फिर लगा शायद किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के कारण बाजार बंद रखा गया हो, लेकिन कारण कुछ और निकला कि मसूरी में हुई लूटपाट की एक घटना के विरोध में पूरा मसूरी बंद रखा गया है आज। हुआ यूं कि मसूरी के एक साहब- व्यवसायिक कार्यवश 3 लाख रूपये लिए स्कूटर पर जा रहे थे कि तभी उनसे वह राशि सरेआम लूट ली गई।
मसूरी जैसे शांत शहर में यह एक डराने वाली बड़ी वारदात थी। अतः प्रशासन की आंखें खोलने व चाक-चौबंद रहने के लिए लूटपाट की घटना के विरोध में पूरी मसूरी में बंद रखकर अपनी एकता की शक्ति सहित प्रशासन को विरोध दर्ज करवाया मसूरी वासियों ने। मसूरी में दो नेटवर्क प्रचलन में है, लेकिन दोनों ही मसूरी से बाहर के ऑपरेटर है। अतः उनसे यहां भेंट नहीं हो सकी, अतः मसूरी से देहरादून के रास्ते शाम ढ़ले सहारनपुर पहुंच गई यात्रा। देहरादून में अब नए समीकरण बन रहे है, शीघ्र ही परिणाम देखने को मिलेंगे।
डिजिटल के लिए अन्तिम तारीख की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे देहरादून के ऑपरेटर बल्कि अभी से ही वह पूरी तैयारी में है। उसके सकारात्मक इरादे अवश्य ही एक नई दिशा की ओर ले जाएंगे केबल टीवी इण्डस्ट्री को। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून को शायद अब अपनी विशेष भूमिका का आभास हो चला है केबल टीवी में, इसलिए यहां अब जो सम्भावनाएं दिखाई दे रही हैं वह काफी पहले से दिखनी चाहिए थी। देहरादून से रात्रि में सहारनपुर पहुंची यात्रा। सहारनपुर में विपिन परासर (डैन) से भेंट हुई वह डैन के साथ अनुबंध कर स्वयं को सुरक्षित कर पाए हैं अन्यथा पे चैनलों ने उनका जीना हराम करके रख दिया था कहना है पारासर का।
हालांकि यहां दूसरा नेटवर्क हाथवे के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन डैस के लिए भी पूरी तरह से तैयार है यहां के केबल ऑपरेटर, लेकिन इसके लिए वह हाथवे व डैन पर निर्भर हैं। वैसे भी उनके निकट अभी डैस के कानून को पहुंचने में काफी समय हैं। सहारनपुर नाईट हाल्ट कर अगली सुबह यात्रा हरियाणा के यमुना नगर के लिए रवाना हुई। यमुना नगर में केबल टीवी ऑपरेटरों की भारी भीड़ यात्रा का स्वागत करने के लिए सुबह से ही प्रतीक्षा में थी। यमुना नगर पहुंचने तक दिल्ली-उत्तर प्रदेश-उत्तराखण्ड-उत्तर प्रदेश होते हुए हरियाणा भी एंट्री कर चुके थे हम। ऑपरेटरों को यहां करनाल के सूनील आरोड़ा एवं जयसवाल जी का संरक्षण प्राप्त हैं। यहा ंशीघ्र ही डिजिटल प्रणाली अपना लेंगे ऑपरेटर जबकि सुनील अरोड़ा करनाल में डैस पर ही केबल टीवी सेवाएं दे रहे हैं। यमुना नगर भी डिजिटल सर्विस शुरू करने वाला है यह जानकर खुशी हुई। वैस अभी तो डैस के प्रथम चरण के परिणाम भी नहीं आ सके हैं, करनाल-यमुना नगर तो सैकण्ड फेस में भी नहीं आ रहे, लेकिन उनकी तैयारी पूरी है यह सराहनीय है।
अर्थात डैस भविष्य की जरूरत है, कानूनन मजबूरी नहीं। जैसेकि दूपहिया वाहन चलाने वालों को हैल्मेट की। हैल्मेट उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी है, ना कि कानून का पालन करने के लिए मजबूरी। यमुना नगर से अम्बाला होते हुए चण्डीगढ़ पहुंची चात्र। चण्डीगर में केबल टीवी में तो कुछ खास नहीं है, यहां भी पंजाब का फास्ट वे ही चलता है। ऑपरेटरों के साथ मीटिंग करना यहां एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन सन्नी गिल भाई जी भी इत्तेफाकन चण्डीगढ़ में ही हैं। अतः उन्होंने बाजवा जी के साथ मीटिंग रखी और फिर अगले ही दिन केबल टीवी ऑपरेटरों के साथ भी मीटिंग तय हो गई। इत्तेफाक यह भी रहा कि आज हिमाचल की आदरणीया गवर्नर श्रीमति उर्मिल सिंह भी हिमाचल भवन में ठहरी हुई हैं और माननीय मुख्यमन्त्री श्री धूमल जी भी, जबकि मेरी भी यहीं की एडवांस बुकिंग है। है ना इत्तिफाक— इससे आगे अगले भाग में लिखा जाएगा, फिलहाल यात्रा का पड़ाव चण्डीगढ़ में है।