(25 अक्टूबर से 5 नवम्बर)(छठा भाग)(कान्हा से दिल्ली)
विजयदशमी के त्योहार की धूम इस क्षेत्र में अभी पूरी तरह से बनी हुई है। कान्हा के गांवों में भले ही देवी मां की मूर्ति का विसर्जन हो गया हो लेकिन बाकी क्षेत्रें में दशहरोत्सव जारी है। कान्हा से आगे का रास्ता पूरी तरह से जंगल का ही है, इस मार्ग पर आदिवासियों की ही बीच-बीच में बस्तियां गांव हैं। दशहरा की खुशियां सब अपने-अपने तरह से मनाने में जुटे हैं। कहीं-कहीं रावण भी बनाकर खड़ा किए हुए हैं। कान्हा से मोचा- बाईहर- सुपखार- चिल्पी- बोडला- पण्डेरिया- मुंगेली होते हुए तखतपुर से बिलासपुर (छत्तीसगढ़) पहुंची यात्रा।
इस बीच का सफर शहरी वातावरण से बिल्कुल भिन्न रहा। इस मार्ग में आए गांवों मेें बने मकान भी ध्यान आकृष्ट करते है, कच्चे ही सही, लेकिन इन मकानों का डिजाईन आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ का बोर्डर एरिया है यह, बिल्कुल जंगलों में से होकर ही आगे निकल रहा है। कभी-कभार ही कोई गाड़ी इस रूट से गुजरती है, ऐसा बयान यहां की सड़के कर रही हैं। बहरहाल! यात्रा बिलासपुर पहुंच गई है। बिलासपुर में भी विजय दशमी के त्योहार की धूम मची हुई है।
रात्रीविश्राम बिलासपुर में ही किया, यहां दूरदर्शन व अन्य चैनलों के लिए रिपोर्टिंग करने वाले कमल दुबे आदि ने यात्रा का स्वागत किया। दशहरोत्सव पर शहर में जितनी भी झांकियां हैं उनके बीच भी सर्वश्रेष्ठ बनने की प्रतियोगिता होती है। नौ दिनों के ऐसे पर्व का अब फाइनल मूर्तिविसर्जन का दिन है। इन मूर्तियों को गाजे-बाजे के साथ नाचते-गाते-झूमते विसर्जन के लिए ले जाया जाएगा। इनकी शोभायात्रा के कारण सारा शहर सजा हुआ है और दूरदराज क्षेत्रें से भी लोग आकर मार्ग के दोनों ओर अपना स्थान ग्रहण कर रहे है।
बड़े-बड़े मंच भी इनके मार्ग पर जगह-जगह बने हुए हैं जहां भिन्न लोग अपनी-अपनी ओर से श्रेष्ठ झांकियों का चयन कर उन्हें पुरस्कृत करने के लिए बैठे है। ऊंची आवाज का संगीत एक दूसरे में घुलकर बेसुरा सा हो गया है, भीड़ बढ़ती ही जा रही है और अलग-अलग मोहल्लों से मूर्तियों की झांकियां को विसर्जन के लिए ले जाने के लिए गाड़ियों में अलग-अलग तरीके से लाद कर ले आया जाने लगा है। हरेक झांकी के साथ मस्त युवकों के झुण्ड हैं, हर किसी को ही अपनी झांकी सर्वश्रेष्ठ लगती है जबकि उनमें से श्रेष्ठ का चयन करने के लिए भिन्न मंचो पर चयनकर्ता भी आसीन हैं।
भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात है, क्योंकि मूर्तिविसर्जन के इस कार्यक्रम में एक-दूसरे से आगे निकलने को लेकर या फिर किसी अन्य कारण को लेकर झगड़ा होने की सम्भावनाएं भी बनी रहती हैं, अतः सावधानीपूर्वक सब तरह के प्रबंध यहां होते हैं। रात बढ़ती जा रही है, साथ ही मूर्तिविसर्जन की भीड़ भी, एक उन्माद का सा माहौल बनता जा रहा है जो सुबह तक चलने की सम्भावना है। बहरहाल! दशहरा मनाने, की देशभर में अलग-अलग परम्पराएं हैं। अभी कान्हा में हवन और मूर्ति विसर्जन से पूर्व महाराष्ट्र में दशहरा के अवसर पर डाण्डिया-गरबा की धूम हम देखते हुए आ रहे हैं, जबकि महाराष्ट्र से पूर्व आन्ध्र व तमिलनाडु के रंग अलग देखे हैं।
बिलासपुर से उड़ीसा होते हुए बंगाल पहुंचनी है यात्रा, अतः उड़ीसा के लिए छत्तीसगढ़ से शुरू होने वाला सफर थोड़ा सा रिस्की हो जाता है क्योंकि इधर माओवादियों की एक्टीविटी चल रही है। बिलासपुर से जजंगी- रायगढ़- झारसुगुड़ा-देवगढ़-बाराकोट होते हुए देर रात सकुशल केन्दुझर पहुंच गई यात्रा। इस मार्ग पर भी दशहरोत्सव की धूम जगह-जगह मची हुई थी। बीच में एक स्थान ऐसा भी आया जहां सबरी मन्दिर भी था और उनके दर्शन-पूजन के लिए वहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा थी। इसी मार्ग पर थोड़ा सा रास्ता भटक जाने के कारण तकरीबन 70 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ा। यह 70किलोमीटर हमारे तकरीबन ढ़ाई घण्टे खा गया क्योंकि सड़क बहुत खराब और छोटे-छोटे गांवों में से होते हुए निकल रही थी। बहरहाल! देर रात्री केन्दुझर पहुंच ही गई यात्रा।
सुबह वहां के ऑपरेटर के साथ भेंट की तब जानकारी मिली कि केबल टीवी का कार्य छोड़ पोलिटिक्स में कदम रख दिए हैं, फिलहाल वहां नगर निगम के सदस्य बन गए है। केबल व्यवसाय को बेच दिया है उन्होंने।
केन्दुझर से आगे बढ़ने से पूर्व हमारे साथ चल रहे एक सहयोगी ड्राइवर इमरान ने वहां ईद की नमाज पढ़ी। आज बकरीद है अतः इमरान ने नमाज अदा की और उसे ईदी दी गई तब यात्रा उड़ीसा से वेस्ट बंगाल के लिए रवाना हुई। मिदिनापोर से खड़गपुर होते हुए यात्रा कोलकाता पहुंची, जहां र्फस्ट फेस में ही डैस लागू किया जाना है। मुम्बई-दिल्ली व चे न्नई की ही भांति कोलकाता भी डैस के प्रथम चरण में शामिल है। 31 अक्टूबर की आधी रात को इन चारों महानगरों में एनालॉग प्रसारण बन्द किए जाने का आदेश सरकार दे चुकी है, लेकिन सरकार में सूचना व प्रसारण मन्त्री श्रीमति अम्बिका सोनी के त्याग पत्र से स्थिती थोड़ी जटिल हो गई है।
ऐसे समय पर जबकि मन्त्री महोदया जी ही इस्तीफा दे गई हैं, जबकि इस सारी कवायद को करने में उन्होंने ही तो बड़ी जिम्मेदारी निभाई है। ऐसा कानून बनाना ही अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। ऐसे कानून से देश के करोडों लोग प्रभावित होंगे एवं हजारों लाखों करोड़ो का इन्वेस्टमेंट होगा। नई सम्भावनाएं जन्मेंगी और नए बाजार खुलेंगें इलैक्ट्रानिक मीडिया के क्षेत्र में एक नई क्रान्ति की शुरुआत होगी, जिस पर सारी दुनिया के धनकुबेरों की गिद्ध दृष्टि गड़ी हुई है। उसके लिए विशिष्ट कानून बना देना भी कम महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि ऐसे कानून को लागू करवाना भी एक बड़ी चुनौती थी, परन्तु ऐसे समय पर माननीया मन्त्री महोदया जी का त्यागपत्र सारी सम्भावनाओं पर प्रश्नचिह्न खड़े कर गया है।
बहरहाल! यात्रा कोलकाता पहुंची, जहां सर्वप्रथम सुरेश सेतिया की अगुवाई में एम-एस-ओ- ने गर्मजोशी से यात्रा का स्वागत किया। भावी सम्भावनाओं पर गम्भीर चर्चा सहित वहां की वास्तविक वर्तमान स्थितियों पर भी जानकारियां मिलीं, तत्पश्चात कोलकाता के ऑपरेटरों के साथ भी विशेष बैठक हुई। कोलकाता के हालात ऐसे नहीं प्रतीत हो रहे हैं कि पहली नवम्बर को यहां डैस लागू हो पाएगा, क्योंकि एम-एस-ओ- ऑपरेटराें के साथ-साथ यहां की सरकार भी अभी इस पक्ष में नहीं है कि पहली नवम्बर को डैस लागू किया जाए। कोलकाता में डैस इम्प्लीमेंट पर अभी अनेक प्रश्नचिह्न लगे हुए हैं, तिस पर माननीय मन्त्री महोदया जी के त्यागपत्र ने नए सवालो को खड़ा कर दिया है।
कोलकाता से आगे बढ़ते हुए यात्रा दुर्गापुर पहुंची। वहां भी डैस को लेकर अब कन्फ्रयूजन और बढ़ गया है। दुर्गापुर से यात्रा आसनसोल केे मार्ग से झारखण्ड़ की ओर बढ़ गई। लेकिन कुल 9 एम-एस-ओ- ॅॅप्स्-डंदजीवन-क्ळ-ळज्च्स्-प्छ-क्म्छ-व्त्ज्म्स्-स्प्छज्ञ – ज्ञभ्स्।ैभ् तो कोलकाता में प्रचलन में हैं, जबकि शीघ्र ही 4 एम-एस-ओ- और यहां के लिए तैयारी में है। अर्थात् अकेले कोलकाता में जब दर्जनभर से ज्यादा हैडेण्ड हो जाएंगे तब क्।ै में खूब प्रतिस्पर्धी देखने को मिलेगी यहां। दुर्गापुर से पुरूलिया होते हुए यात्रा टाटा नगर जमशेदपुर के बाद रांची पहुंची। जमशेदपुर में भी मंथन-डैन-डब्लू डब्लू आई एल- जीटीपीएल सहित इण्डिपैन्डैंट एम-एस-ओ- भी हैं।
इस प्रकार एम-एस-ओ- की तैयारियां डैस के द्वितीय चरण की ओर बढ़ रही है। रांची की स्थिति भी अलग नहीं है बल्कि यहां भी कोलकाता से मंथन व जीटीपीएल भी पहुंच गए हैं एवं इण्डिपैंडैंट भी अभी अपना झण्डा थामे जमे हुए हैं। भविष्य किधर जाएगा के लिए उनका अपना कोई अस्तित्व नहीं है, बल्कि पूरी तरह से वह उन्हीं एम-एस-ओ- पर निर्भर हैं। कोलकाता या गुजरात से चलते हुए मंथन अथवा जीटीपीएल इतना बड़ा कैसे हो गया कि यहां तक पहुंच कर इन्हें भी गोद ले लिया, ये स्वयं अपने पैरों पर क्यों नहीं खड़ें हो सके, इन्होंने नहीं सोचा व ना ही चाहते है। झारखण्ड में मनोरंजन कर 50/- रुपए प्रति टीवी प्रति माह है, लेकिन केवल एक ही केबल टीवी ऑपरेटर मनोरंजन कर का भुगतान करता है बाकी नहीं, इसलिए शेष केबल टीवी ऑपरेटरों को मनोरंजन कर की कोई चिंता नहीं हैं, क्योंकि वह पे ही नहीं कर रहे हैं। रांची से यात्रा हजारीबाग होते हुए बोघगया पहुंची।
हजारीबाग पूर्ण तथा डैन हो गया है अतः यहीं से डैन प्रमुख श्री एस-एन- शर्मा जी को बधाई देकर जब बोघगया पहुंचे तब वहां भी डैन को जपते पाया ऑपरेटरों को, लेकिन पटना की स्थिति बिल्कुल अलग है।
पटना में इण्डिपैन्डैंट सुशील के सामने खड़े अलग-अलग हैडेण्ड अब मोर्या के बैनर तले एक ही हैैडेण्ड बन गए है। मोर्या के साथ कोलकाता के सुरेश सेतिया जुड़ गए हैं, अतः पटना में बार-बार ऑपरेटरों के बीच होने वाली बहुत सी समस्याओं का वह समाधान भी बन गए हैं। पटना में डैन मौके की प्रतिक्षा में बैठा हुआ है, लेकिन फिलहाल पटना के ग्राउण्ड में डैन की शुरूआत नहीं हो पाई है, फिर भी बिहार के एक-दो शहरों से डैन ने अपनी शुरुआत कर दी है। मुजफ्रफरपुर, भागलपुर सहित कई दूसरे शहर भी डैन के अन्तर्गत आने के लिए तैयार किए जा चुके हैं। पटना मीटिंग के बाद यात्रा का रूट थोड़ा बदला गया क्योंकि पूर्व में बनाए गए यात्रा के रूट में त्रुटिवश 31 अक्टूबर लिखना रह गया था, अतः एकदिन 31अक्टूबर का सदुपयोग करने के लिए बिहार को और निकट से देखने का निर्णय लिया गया। पटना से हाजीपुर-बरौनी-बेगूसराय पहुंची यात्रा।
हाजीपुर ऑपरेटरों के साथ मीटिंग कर सीधे बेगुसराय पहुंची यात्रा, बेगुसराय में ही बरौनी के ऑपरेटरों को भी बुला लिया गया। उनके साथ मीटिंग कर यात्रा सीधे मुंगेर पहुंची। मुंगेर एक हिस्टोरिकल शहर है बिहार का। यहां एक इंटरनेशनल योगा सेंटर भी है जहां दुनियाभर से लोग योगा सीखने आते हैं। मुंगेर में ही सरकारी शस्त्र निर्माण कारखाना भी है। यहां के ऑपरेटरों के साथ मीटिंग के बाद यात्रा भागलपुर होते हुए सीधे कटिहार पहुंची।
उधर दिल्ली में सूचना व प्रसारण मन्त्री के रूप में कांग्रेस प्रवक्ता श्री मनीष तिवारी को शपथ दिलवादी गई है। ईद के दिन श्रीमती अम्बिका सोनी जी ने मन्त्रीपद से त्यागपत्र दिया था एवं उनके रिक्त स्थान को 29 अक्टूबर को मनीष तिवारी जी के द्वारा भर दिया सरकार ने, लेकिन ब्रॉडकास्टिंग एण्ड केबल टीवी इण्डस्ट्री मन्त्रियों के इस बदलाव को लेकर सकते में हैं। नए मन्त्री जी का निर्णय डैस के इम्प्लीमेंट पर क्या रहेगा, सब कपास लगाने मेें जुटे हुए हैं। इसी अहा-पोह में यात्रा कटिहार पहुंच गई है। कटिहार के बारे में जैसा सुनने को मिला था उससे भी बहुत ज्यादा कटिहार पहुंचकर देखने को मिला। एक ब्लाइन्ड मैन ललित अग्रवाल केबल टीवी व्यवसाय में पूरी तरह से रमा हुआ है।
पूर्णतया प्रोफेशनल, वह जानता है कि 31 दिसम्बर, 2014 के बाद देशभर से एनालॉग प्रणाली बंद करने की ठान रखी है सरकार ने अतः वह भी अभी से डिजीटल पर जाना शुरू हो गया है। 170 डिजीटल चैनलों का प्रसारण वह अपने नेटवर्क से कर रहे है। कोशी ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन (केबीसी) न्यूज चैनल चला रहे अग्रवाल साहब की उस क्षेत्र में पूरी धाक है। इज्जत से केबीसी न्यूज लोकप्रियता में वहां नम्बर वन पर है। अभी तकरीबन 1300 सैटॉप बॉक्स वह लगवा चुके हैं, काम चालू है 80-80 चैनल करके वह चैनलों में वृद्धि करते जाएंगे।
ललित अग्रवाल भले ही आंखो से देख नहीं पाते हैं, लेकिन किसी भी प्रकार के नाजायज दबाव-शोषण के खिलाफ कैसे लड़ना है वह खूब अच्छी तरह से जानते हैं। स्टार के डिस्ट्रीब्यूटर के शोषण पूर्ण रवैये के खिलाफ उन्होंने डिस्ट्रीब्यूटर सहित स्टार के भारत स्थित प्रमुखों के वारण्ट निकलवा दिए थे। तीन बार वह अलग-अलग मामलों में टीडीसैट से केस जीत चुके हैं। अतः डरना तो उन्होंने सीखा ही नहीं है।
ललित अग्रवाल का जन्म 2 अक्टूबर, 1968 में एक रईस परिवार में हुआ था, वह जन्म से बिल्कुल स्वस्थ पैदा हुुए थे। जब वह मात्र 15 दिनों के ही थे तब चेचक ने उनकी एक आंख ही पूर्णतया ले ली थी जबकि दूसरी आंख से उन्हें थोड़-थोड़ा दिखता रहा। जैसे-जैसे वह बड़े होते गए उनकी एक आंख की रोशनी भी घटती ही चली गई, लेकिन तब तक किसी तरह से उन्होंने ग्रेजुएशन पूर्ण कर ली थी। आखिरकार उनकी आंख उनका साथ छोड़ रही थी तब मुम्बई में इलाज की हर सम्भव कोशिश की गई, लेकिन ईश्वर की मर्जी के सम्मुख सब लाचार हो गए और वह पूरी तरह से ब्लाइन्ड हो गए। उनका परिवार मुम्बई में बसा हुआ है, अपना ठीक-ठाक कारोबार है मुम्बई में, लेकिन ललित अग्रवाल ने वापिस कटिहार ही रहने का निर्णय लिया।
स्वयं को अपने ही दमबूते पर खड़ा करने के लिए उन्होंने पहले एक एन-जी-ओ- कल्याण भारती के अन्तर्गत समाज सेवा के कार्य में सेवाएं दीं, लेकिन फिर मीडिया के क्षेत्र ने उनका ध्यान खींचा और 1999 में उन्होंने केबल टीवी व्यवसाय में कदम रखे। केबल टीवी में सफलतापूर्वक 2001 में अपना एक न्यूज चैनल भी शुरू कर दिया केबीसी न्यूज। देशभर के आंखो वाले केबल टीवी ऑपरेटरों के लिए कटिहार का यह ब्लाइन्ड केबल टीवी ऑपरेटर एक ऐसा प्रेरणा स्त्रेत है जो कभी हारना नहीं जानता व न ही किसी से डरना। आंखे ना होने के बावजूद भी इण्डस्ट्री की भावी सम्भावनाओं में वह ठीक-ठाक देख लेते हैं। उनकी कार्य प्रणाली ही उन्हें इण्डस्ट्री में एक सही मुकाम की ओर लिए जा रही है। कटिहार में ललित अग्रवाल से मिलने के बाद बिहार दौरा सार्थक हो गया। अतः यात्रा वहां से आगे बढ़ते हुए पूर्णिया-दरभंगा होते हुए मुजफ्रफरपुर ऑपरेटरों से मिलते हुए गोपालगंज पहुंची। बिहार-उत्तरप्रदेश सीमा पर स्थित गोपालगंज नेपाल सीमा के भी निकट है। यहां का केबल टीवी ऑपरेटर केबल से ज्यादा दूसरे कार्यो में व्यस्त होता है। गोपालगंज से कुशीनगर पहुंची यात्रा। बुद्धिज्म शिक्षा पर यह शहर विश्व भर में प्रसिद्ध है। कुशीनगर से अयोध्या होते हुए फैजाबाद मार्ग से गोरखपुर पहुंची यात्रा।
अयोध्या में शाम का कर्फ्रयू लगा हुआ है, क्योंकि दशहरा के अवसर पर निकलने वाली शोभायात्रा में कुछ गड़बड़ किए जाने के कारण वहां साम्प्रदायिक दंगे हो गए थे। अब स्थिति नियन्त्रण में है, इसलिए धीरे-धीरे कर्फ्रयू की समय सीमा बढ़ाई जा रही है। बाजारों में भीड़ बढ़ती ही जा रही है। फैजाबाद से गोरखपुर होकर यात्रा सीधे लखनऊ पहुंच गई। बिहार से उत्तर प्रदेश की स्थिति बिल्कुल अलग है, यहां तकरीबन तमाम शहरों में डैन ही हो गए हैं ऑपरेटर। डब्लू-डब्लू आई एल एवं डीजी की मौजूदगी भर ही रह गई है। उत्तर प्रदेश में मनोरंजनकर की स्थिति बहुत पीड़ादायक है, जबकि बिहार में 15/- रुपए प्रति सब्स्क्राईबर है। उत्तर प्रदेश में 2009-2010 में कुल कलैक्शन का 25» टैक्स देना होता था जो कि 2010-2011 में 30» वृद्धि कर दी गई थी।
2011-2012 में पुनः 10» वृद्धि की गई थी जबकि अब साल 2012-2013 के लिए भुगताई जाने वाली टैक्स की राशि में 30» की और वृद्धि कर दी गई है। इस प्रकार से मात्र 5 वर्षाे में ही 70» की वृद्धि उत्तर प्रदेश की सरकार ने केबल टीवी पर मनोरंजन कर के रूप दी है। डैन का वर्चस्व समूचे उत्तर प्रदेश में कायम है, साथ ही डिजीटल का काम भी तेजी से चल रहा है। डैस के द्वितीय चरण के लिए लखनऊ-कानपुर पूरी तरह से तैयार है।
लखनऊ मीटिंग के बाद सीधे कानपुर पहुंची यात्रा जहां केबल टीवी ऑपरेटरों में डैन क्रिकेट लीग टूर्नामेंट खेला जा रहा था। संजीव दीक्षित द्वारा ऑर्गेनाइज्ड यह क्रिकेट टूर्नामेंट कानपुर स्टेडियम में खेला जा रहा था जिसका आज सेमीफाइनल एवं फाइनल मैच था। सभी ने गर्मजोशी के साथ यात्रा का स्वागत किया। कानपुर ऑपरेटरों से मिलकर यात्रा सीधे इटावा पहुंची। यहां का ऑपरेटर डीजी अनुबंध के सहारे बैठा है वही स्थिति मैनपुरी की भी है। यात्रा इटावा से शैफई होते हुए मैनपुरी के रास्ते फिरोजाबाद पहुंची। ऑपरेटरों से भेंट करते हुए इसी मार्ग से आगरा होकर मथुरा पहुंच गई आज यात्रा। मथुरा में भी यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। यहां से वापिस दिल्ली के लिए नोएडा होकर पहुंची यात्रा। नोएडा में कर्नल (रिटायर्ड) वी-सी-खेर जी की कुशल क्षेम जानने के साथ-साथ उनकी शुभशीष लेते हुए साठ दिनों का सफर सफलता पूर्वक पूर्ण कर यात्रा दिल्ली पहुंच गई, जहां भारी संख्या में प्रतीक्षारत लोगों ने यात्रा का स्वागत किया।
इस प्रकार चेतना यात्रा का एक और दौर सम्पन्न हुआ।
इस यात्रा में कुल 20 राज्यों व 5 यूनियन टैरिटरी सहित साढ़े चार सौ से अधिक शहरों में गई यात्रा, तकरीबन 30 हजार किलोमीटर का सफर साठ दिनों में पूर्ण हुआ। किसी भी प्रकार का कोई भी विघ्न इस चेतना यात्रा-8 में नहीं आया। 60 दिनों यात्रा की तमाम खट्टी-मीठी स्मृतियों में से कुछेक अंश इस तरह से आप तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है, जबकि भारत भ्रमण की स्मृतियों के खजाने में चेतना यात्रा-8 की समृतियां शामिल हो गई है। प्रकृति ने इतना कुछ दे रखा है हमारे देश को कि बार-बार देखने से भी मन नहीं भरता है।