4 अक्टूबर-15 अक्टूबर तक)(चौथा भाग)मुम्बई से केरल
सितम्बर को आरम्भ हुई चेतना यात्र-8, 3 अक्टूबर की रात में मुम्बई पहुंची। दिल्ली से मुम्बई तक का सफर दिल्ली-उत्तर प्रदेश-उत्तरांचल, हरियाणा, चण्डीगढ़, हिमाचल प्रदेश-जम्मू और कश्मीर, पंजाब-राजस्थान-गुजरात से मध्य प्रदेश के रास्ते महाराष्ट्र पहुंचा। इसी बीच दीव से भी गुजरी यात्र। मुम्बई तक पहुंचते-पहुंचते कुल 12 प्रदेश एवं दो यूनियन टैरिटरी का सफर पूरा कर चुकी है चेतना यात्र-8। अनके स्थानों पर ग्लोबलवार्मिंग के प्रति लोगों में जन-जागृति लाने के कार्यक्रमों के आयोजनों सहित केबल टीवी ऑपरेटरों को डिजीटलाइजेशन पर भी अपग्रेड किया। मुम्बई डैस के प्रथम चरण में शामिल है अतः मुम्बई के केबल टीवी ऑपरेटरों के साथ डैस के बाद की सम्भावनाओं पर काफी विस्तार से बातें हुई।
इस यात्र के दरमियान मुम्बई में डस्। होस्टल (मन्त्रलय) ठिकाना रहा, क्योंकि कल्याण के ऑपरेटर गनपत गायकवाड़ विधायक भी है और मुम्बई विधायक भवन में उनके आवास के लिए भी एक आवास आरक्षित है। अतः उनके अनुरोध पर इस बार यात्र में पड़ाव मुम्बई मन्त्रलय विधायक भवन में ही किया गया। विधायक भवन में ठहरने का भी अपना एक अलग ही अनुभव रहा, क्योंकि विधायक गनपत गायकवाड़ के सचिव (सरकारी) गोसांई जी के इसी सेवा में बिताए गए कई वर्षो के अनुभवों को जानकर काफी कुछ नई जानकारियां प्राप्त हुई। मुम्बई में डैस को लेकर भावी सम्भावनाओं पर ब्रॉडकास्टर्स का एक दो दिवसीय ‘ज्अ छमगज’ कार्यक्रम का आयोजन एबीपी न्यूज द्वारा रखा गया था, अतः मुम्बई प्रवास के दौरान चेतना यात्र-8 का वह आयोजन मुम्बई की विशिष्ट उपलब्धी रहा।
कार्यक्रम जे डव्ल्यु मैरिट होटल मेें रखा गया था, वहां 4 की सुबह समय से ही पहुंच गई यात्र। मंच से जी ग्रुप प्रमुख माननीय सुभाष चन्द्रा जी कार्यक्रम की शुरूआत में भाषण दे रहे थे। श्री चन्द्ररा जी को बहुत दिनों बाद किसी मंच से सीधे सुनने का अवसर मिला था, डैस के इम्प्लीमेंट पर उन्होंने यह विशेष संदेश इण्डस्ट्री को दिया था, अतः प्रश्नोत्तर काल में उनसे सवाल करने का जब अवसर मिला तब भारतीय केबल टीवी ऑपरेटरों की ओर से मात्र दो सवाल उनके सम्मुख रखे –
1- डैस के बाद केबल टीवी ग्राहकों को क्या भुगताना होगा\ का जवाब सैटॉप बॉक्स लगाने वाले ऑपरेटर क्या दें\ एवम्
2- कन्ज्यूमर्स को कन्फ्रयूज करना कब बंद किया जाएगा\ प्रोडक्ट वही है कन्ज्यूमर भी वही, मोड़ ऑफ ट्रांसपोर्टेशन का ही तो फर्क है, डीटीएच और केबल में, फिर कीमतें अलग और कम्प्टीशन क्यों\ क्यों माल को मुफ्रत में देकर भ्रमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, और कब तक किए जाएंगे|
माननीय सुभाष जी ने बहुत ही चतुराई भरा उत्तर दिया और शीघ्र ही वह वहां से विदा भी हो गए, लेकिन यात्र के लिए उन्होंने अगले ही दिन घर आने का निमन्त्रण भी दे दिया। सुभाष जी के घर दिए गए समय से ही पहुंच गए, लेकिन उनसे मिलने के लिए तकरीबन एक घंटा प्रतीक्षा करनी पड़ी। बड़े भाई की भांति बहुत ही आत्मयिता के साथ उनसे मिलना हुआ। उनके कर कमलों द्वारा चेतना यात्र-6 व 7 पर लिखी पुस्तक का अवलोकन भी करवाया गया एवं घर से बाहर निकल कर उन्होंने चेतना यात्र-8 की गाड़ी को भी बड़ी गम्भीरता से देखा एवं फोटो खिंचवाए। उनसे आर्शीवाद एवं शुभकामनाएं लेकर यात्र पुनः होटल श्रू डंततपवज पहुंची जहां ज्अ छमगज प्रोग्राम जारी था, वहां सबसे मिलने के बाद यात्र हिन्दुजा ऑफिस नागेश छाबड़िया से डैस का हाल जानने के लिए पहुंची परन्तु नागेश भाई बोर्ड की मीटिंग में व्यस्त थे।
डीजी ऑफिस में जे-एस-कोहली जी के साथ डैस पर विचार विमर्श के बाद यात्र को नेटवर्क-18 में अनुज गांधी की शुभकामनाएं लेकर मुम्बई से आगे के पड़ाव की ओर बढ़ चली। मुम्बई से शुरू हुई हल्की-हल्की बूंदा बान्दी भारी तूफानी बारिश में बदल गई अतः रास्ते भी जाम हो गए सफर तय कार्यक्रम से लेट होने लगा अतः हितेष से भी भेंट नहीं हो सकी और सीधे कोल्हापुर-सांगली मार्ग पर बढ़ चली यात्र, परन्तु रात अधिक हो चली थी अतः हाईवे पर स्थित महाड़ में एक रिसोर्ट में विश्राम कर सुबह वहां के ऑपरेटरों के साथ भेंट कर यात्र सांगली पहुंची। महाड़ से आगे का रूट खेद्र-चिपलन होते हुए कोयना गांव से पाटन-खरड़ के मार्ग से सांगली पहुंचा था।
यह महाराष्ट्र का अन्दरूनी क्षेत्र हैं, प्राकृतिक खूबसूरती गजब है इस मार्ग पर। पूरा पहाड़ी मार्ग है, जगह-जगह झरने मन मोह लेते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते हुए सांगली ऑपरेटरों से भेंट कर सीधे कोल्हापुर पहुंच गई आज यात्र। कोल्हापुर और सांगली दोनाें ही शहरों में हिन्दुजा नेटवर्क चलता है, लेकिन कोल्हापुर में एक नेटवर्क जीटीपीएल का भी मिल गया, वहीं मीटिंग की और डैस पर ऑपरेटरों को अपडेट करते हुए यात्र आगे बढ़ चली। महाराष्ट्र ये गोवा की ओर बढ़ते हुए इसी मार्ग पर एक गांव में ‘पांडव गुफा’ भी देखने का स्थान है। मुख्य मार्ग पर लगा यह बोर्ड वहां से गुजरने वालों को आकर्षित करता है। मुख्यमार्ग से मात्र 3 किलोमीटर अंदर जाने के बाद गाड़ी एक तरफा खड़ी कर कुछ कदम पैदल चलने के बाद वहां कुदरत का वह दृश्य सामने आता है, जिसे देखकर यकीन करने को मन नहीं करता है।
अद्भुद हजारों साल पूर्व के अवशेष वही पत्थरों पर उकेरे हुए मिलते है। शिवलिंग-गणेश जी की मूर्तियाें और कहुआ पत्थर जैसे आज भी किसी तपस्वी की प्रतीक्षा कर रहा हो। झरने का निरन्तर बहाव इस दृश्य को और भी खूबसूरत बना देता है। पूरा पहाड़-गुफाएं एवं बारह शिवलिंग-गणेश मूर्तियां सब एक ही शिला पर बने हुए हैं, कहा जाता है कि ऋषिमुनियों के लिए यह तपस्या स्थान था, यहीं पांडव भी रहे और स्वयं भगवान राम भी यहां आए थे। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ शिवरात्री पर यहां उमड़ती है, लेकिन कुल मिलाकर यहां का दृश्य प्रकृति का एक अद्भुद नजारा है। यहां से आगे बढ़ते हुए सीधे गोवा पहुंची यात्र। गोवा में रात्री विश्राम कर ऑपरेटर मनरेका परिवार के साथ भेंट कर यात्र गोवा से धारवाड़ के लिए बढ़ चली। मार्ग पूर्णतया घने वन का क्षेत्र है, प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते हुए देर रात धारवाड़ पहुंच कर विश्राम किया।
ऑपरेटरों से मिलने से पूर्व वहां होटल कर्नाटक भवन के मालिक अशोक भाई से भेंट हुई, लम्बी चर्चा हुई, उन्होंने वहीं ठहरी ब्लाइन्ड क्रिकेट टुर्नामैंट के आयोजकों से भी परिचय करवाया एवं धारवाड़-हुबली के मेयर के साथ मीटिंग का भी कार्यक्रम तय किया। अशोक जी के होटल कर्नाटक भवन में रात्री विश्राम कर प्रातः सर्वप्रथम वहां के मेयर श्री पाण्डुरंग पाटिल जी से भेंट की एवं यात्र के लिए शुभकामनाओं सहित फ्रलेगऑफ भी धारवाड मेयर हाऊस सेे किया गया। धारवाड़ के अनेक केबल टीवी ऑपरेटर भी कार्यक्रम में शामिल हुए तत्पश्चात धारवाड़ स्टेडियम में आयोजित ब्लाइंड क्रिकेट टुर्नामैंट के खिलाड़ी और आयोजकों से भेंट कर यात्र धारवाड़ से हुबली पहुंची। हुबली ऑपरेटरों के साथ डैस पर अपडेटिंग के साथ-साथ लंच लेकर हावेरी-हरिहर-डावनगिरी की ओर बढ़ चली यात्र। धारवाड़ में अमोद (पूर्व मुख्यमन्त्री श्री कुमार स्वामी की पत्नी के नाम पर यहां केबल टीवी नेटवर्क चलते हैं) नेटवर्क के अतिरिक्त मि- सामा का भी निजी नेटवर्क चल रहा है।
धारवाड़ से हुबली की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है, दोनों जगह अमोद को एक ही नेटवर्क चल रहा है जबकि भविष्य के गर्भ में यहां काफी उठा-पटक की सम्भावनाएं बन रही है। फिलहाल कर्नाटक में अमोद के साथ डैन का भी गठबंधन है। हुबली में ही आमोद के प्रतिनिधि शबीर भी अन्य ऑपरेटरों के साथ मिले और अशोक भाई से भी विदा लेकर यात्र सीधे दावणगिरी पहुंची। वहां के ऑपरेटरों के साथ रात को ही भेंट की, क्योंकि सुबह यहां से जल्दी ही आगे बढ़ना है। दावणगीर में भी आमोद से सीधे सिमोगा पहुंची यात्र। सिमोगा मीटिंग निबटाकर सीधे तमकुर पहुंच कर वहां आयोजित एक बड़ी मीटिंग को सम्बोधित किया। तुमकुर में आयोजित इस मीटिंग में आस-पास के क्षेत्रें से भी काफी संख्या में ऑपरेटर आए हुए थे, उनके भोजन का भी प्रबंध किया गया था।
दोपहर से ही यहां ऑपरेटर आने शुरू हो गए थे, बहरहाल! यहां भी अभी तो अमोद नेटवर्क ही चल रहा है, लेकिन भविष्य के गर्भ में काफी कुछ उथल-पुथल की सम्भावनाएं प्रबल हो रही हैं। मीटिंग काफी लम्बी चली, रात ज्यादा होने के कारण बैंगलोर का रात्री विश्राम रद्ध कर यहीं रूकना पड़ा। तुमकुर से सीधे बंगलौर पहुंची यात्र, ऑपरेटरों की कर्नाटक एसोशिएशन द्वारा यात्र का गर्मजोशी से स्वागत सत्कार के बाद डैस पर लगे अनेक प्रश्न चिह्नों पर मुक्त चर्चा हुई। बंगलौर में ही बेसिल द्वारा खोली गई ब्रांच के द्वारा केबल टीवी ट्रेनिंग प्रोग्राम के सर्टिफिकेट वितरण कार्यक्रम में निमन्त्रण मिला तो वहां चार दिन चले ट्रेनिंग कार्यक्रम को भी देखा एवं इस सत्र में कुल 16 टैक्नीशियन्स से ट्रेनिंग हांसिल की, उनसे भी सीधे-सीधे मिलना हुआ एवं उनके भविष्य के प्रति शुभकामनाएं देते हुए सर्टिफिकेट वितरण कार्यक्रम में शामिल होकर यात्र बंगलौर से मैसूर के लिए बढ़ चली। मैसूर में अभी दशहरा की तैयारियां की जा रही है।
यहां भी आमोद का ही नेटवर्क फिलहाल चल रहा है, लेकिन केबल टीवी ऑपरेटरों में काफी चहल-पहल दिखाई दे रही है। मैसूर केबल टीवी ऑपरेटरों की अब बाकायदा एसोसिएशन भी बन गई है। मैसूर मीटिंग के बाद वहीं रात्रि विश्राम कर अगले पड़ाव की और बढ़ चली यात्र। बान्दीपुर फिलहाल बन्द मिला, क्योंकि देशभर के समस्त टाईगर रिजर्व पार्को पर माननीय उच्चतम न्यायालय में एक केस चल रहा है जिसके अन्तर्गत समस्त पार्को पर फिलहाल प्रतिबन्ध लगा हुआ है। मैसूर से भाई रंगानाथन ऑपरेटर से विदाई लेकर सुबह गुण्डलपेट होते हुए बान्दीपुर पहुंची यात्र। बान्दीपुर टाईगर रिजर्व पार्क तो बंद था, लेकिन इसी के बीच बनी सड़क से होते हुए ही कर्नाटक से केरल के लिए जाया जाता है। बान्दीपुर से गुजरते हुए जंगली हाथियों के झुण्ड ने यात्र का स्वागत किया। यह मार्ग प्राकृतिक सौंर्दय के साथ-साथ जानवरों से भी भरा हुआ है।
यहां कहीं भी हाथी-टाईगर, भालू-जंगली कुत्तों सहित जंगली भैंसे भी देखने को मिल सकते है। हिरणो की भी भिन्न प्रजातियां यहां है। इसी मार्ग से कर्नाटक से केरल में प्रवेश किया यात्र ने। केरल का पहला पड़ाव सुल्तान बतेरी में हुआ। यह एक टूरिस्ट सिटी है। हिल स्टेशन के साथ-साथ यहां जानवरों का आकर्षण भी टूरिस्टों को आकर्षित करता है। मौसम तो खूबसूरत यहां होता ही है। कर्नाटक से केरल प्रवेश के इस मार्ग में तमिलनाडू का भी एक जंगल आता है। कुल तीन प्रदेशों में बंटा हुआ है यह घना जंगल। इसी मार्ग से केरल में पहुंची यात्र।
यूं तो भारत के अन्य प्रदेशों से केरल विशिष्ट भिन्नता रखता ही है, लेकिन केबल टीवी व्यवसाय में भी केरल देश के अन्य प्रदेशों से बिल्कुल अलग है। यहां 120 लोकल चैनल प्रचलन में है। तकरीबन 4700 केबल टीवी ऑपरेटर केरल में केबल व्यवसाय में सलंग्न है। हालांकि शुरूआती दौर में यहां सिटी केबल का काफी जोर-शोर था लेकिन अब केवल नामचारे के रूप में ही सिटी केबल का ॅॅप्स् रूप। यूं तो यहां हिन्दुजा के इन केबल की भी प्रीजेंस बनी हुई है परन्तु सिर्फ नामचारे के लिए ही। डैन की झोली भी बिल्कुल खाली नहीं कही जा सकती है, जबकि हाथवे एशियानैट का सहभागी बना उनसे काफी आगे बना हुआ है, लेकिन केरल में केबल टीवी ऑपरेटरों का समूह बाकी सबकों बहुत पीछे धकेलता हुआ काफी आगे निकल गया है अन्य सबसे। केबल टीवी ऑपरेटरों ने आपस में मिलकर केरल कम्युनिकेशन केबल लिमिटेड (ज्ञब्ब्स्) कम्पनी बनाई हुई है। केरल के कुल 4700 केबल टीवी ऑपरेटरों में से तकरीबन 3000 ऑपरेटर ज्ञब्ब्स् से जुड़े हुए हैं, अतः ऑपरेटरों ने स्वयं को सबसे अलग बनाए रखा हुआ है। सब आपस में कोऑपरेटिव स्टाईल में केबल बिजनेस कर रहे है।
डिजीटल का कानून यहां लागू होने में अभी काफी समय हैं, लेकिन केरल के ऑपरेटर अभी से ही पूरी तैयारी से चल रहे है। क्।ै का लायसेंस भी उन्होंने ले लिया है एवं डिजीटल हैडेण्ड लगा कर तकरीबन 2 लाख सैटॉप बॉक्स भी अभी तक केरल में लगाए जा चुके है ऐसा कहना है ज्ञब्ब्स् के सचिव गोविन्दम का। केरल के केबल टीवी ऑपरेटरों ने देश के अन्य राज्यों के केबल टीवी ऑपरेटरों के सामने एकता का एक ऐसा उदाहरण पेश किया है कि जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। केरल के कुल 14 जिलों में ज्ञब्ब्स् की सेवाएं उपलब्ध हैं। फिलहाल 150 चैनल वह डिजीटल प्रसारण किए जा रहे हैं, लेकिन जनवरी 2013 तक वह 250 चैनल एवं 31 दिसम्बर 2013 से पूर्व कुल 500 चैनलों के प्रसारण का लक्ष्य लेकर चल रहे है। सभी ऑपरेटरों में अपनी उपलब्धी पर खुशी उत्साह देखने को मिलता है।
लेकिन समस्याएं भी उन्हें घेरे हुए हैं। वहां बिजली की दरें केबल व्यवसाय के लिए काफी ज्यादा हैं, 10/- प्रति यूनिट है, जबकि वहां अन्य व्यवसाय के लिए कमर्शियल दर 3/- रू- प्रति यूनिट है। केबल के तार बांधने के लिए भी बिजली के खम्भों की दर निरन्तर बढ़ती ही जा रही है। 1998 से पहले मात्र एक रूपया प्रति पोल को 1998 में 17/-रू- प्रति पोल कर दिया गया। इसी पोल की दर को 2002 में 108/- कर दिया गया और अब 2012 में सीधे 311/-रू- प्रति पोल (वार्षिक) कर दिया गया है। अतः इन बढ़ी दरों के विरूद्ध केबल टीवी ऑपरेटरों का विरोध प्रदर्शन केरल में जारी है। इसी के साथ उनकी सबसे बड़ी समस्या उनके प्रतिस्पर्धा एम-एस-ओ- पैदा कर रहे हैं क्योंकि वह अपने सैटॉप बॉक्स मुफ्रत में कन्ज्यूमर्स को दे देते हैं जबकि ज्ञब्ब्स् ऐसा नहीं कर सकती है। इस सबके बावजूद भी केरल केबल टीवी ऑपरेटरों की एसोसिएशन का कहना है कि वही केरल में नम्बर बन हैं जबकि केरल के लोकप्रिय चैनल एशियानैट को लेकर भी उन्हें बहुत परेशान किया जा रहा है। यह चैनल स्टार ग्रुप का है और मीडिया प्रो के बुके में शामिल है, लेकिन मीडिया प्रो उनसे बहुत ज्यादा रिकवरी करना चाहता है।
केरल में सन्तोषजनक बात यह भी है कि वहां की राज्य सरकार ने अभी केबल टीवी पर मनोरंजन कर नहीं लगाया है। जबकि इसके बिल्कुल विपरीत भारत के नक्शे में बिल्कुल ऊपरी सिरे पर कश्मीर से जरा नीचे दांयी ओर के राज्य उत्तराखण्ड पर नजर मारें तो वहां के केबल टीवी ऑपरेटरों की मनोरंजन कर ने कमर तोड़ रखी है। केरल केबल टीवी ऑपरेटरों की एसोसिएशन के साथ बैठक के बाद सुल्तान बतेरी से यात्र आगे बढ़ी ही थी कि बाइक सवारों का एक जत्था मिल गया जोकि त्रिवेन्द्रम से सुल्तान बतेरी से भी आगे टूर पर निकला हुआ था। 50 मोटर साइकिलों वाले इस जत्थे में सभी रायल एनफील्ड मोटर साइकिल थीं, एवं बहुत पुरानी पुरानी मोटर साइकिलों के साथ एक मोटर साइकिल डीजल की भी शामिल थी।
इन बाइर्क्स के काफिलें में एक जीप भी शामिल थी एवं मैकेनिक भी। उनसे भेंट परिचय के बाद यात्र त्रिशूर से पूर्व गुरूवायूर में ज्ञब्ब्स् के टैक्निकल डायरेक्टर के साथ भेंट कर सीधे त्रिशूर होते हुए कोची पहुंची। सण्डेे होने के कारण केबल टीवी ऑपरेटरों का मिलना बहुत ही कठिन हो जाता है। पूरी तरह से छुट्टी का ही माहौल है केरल में अतः बामुश्किल कोची में गाड़ी की आधी सर्विस करवाई जा सकी। कोची से रूट में थोड़ा सा चेंज किया गया, अब यात्र सीधे मुन्नार के मार्ग पर बढ़ चली थीं, यह मार्ग पूरा पहाड़ी, प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुद खजाना है। बारिश लगातार हो रही है, लेकिन यात्र बिना रूके आगे बढ़ते हुए मुन्नार से थोड़ा पहले एडिमाली में रात्रि विश्राम के लिए रूक गई। एडिमाली में ही वहां के एक बड़े केबल टीवी ऑपरेटर से भेंट हुई। इन्हीं ऑपरेटर द्वारा मुन्नार में भी केबल ऑपरेट किया जाता है।
यह पूरा क्षेत्र चाय बागान से भरा हुआ है यहां अनेक झरने है और रास्ता पहाड़ी के साथ-साथ बहुत संकरा भी है। यहां से आगे का मार्ग फिर से चेंज किया, जबकि मुन्नार मात्र 13 किलोमीटर ही रह गया था, लेकिन मुन्नार के लिए एडमिली से कोटाप्पना और कोटाप्पना से पूप्पारा और वहां से मुन्नार होकर वाइल्डलाइफ सैन्चुरी चिनार के मार्ग से उडामलाइपेट के रास्ते तमिलनाडू में प्रवेश किया यात्र ने। बहुत ही खूबसूरत नजारों भरा रहा यह पूरा मार्ग, इसी मार्ग पर मुन्नांर से पूर्व एक साइकिल सवार विदेशी (स्पेन) घुमक्कड़ भी मिला। उससे मुन्नार में भेंट परिचय के बाद यात्र तमिलनाडू के लिए बढ़ चली। यात्र के इस भाग को केरल तक ही रखते हैं क्योंकि यहां से आगे प्रकृति की इतनी सुन्दरता तमिलनाडू में नहीं मिलेगी। तमिलनाडू के साथ अगला भाग आरम्भ किया जाएगा। तब तक प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लीजिएगा।